मुश्किल मे टमाटर उत्पादक किसान ; इस बार टमाटर की बजाय टमाटर की फसल उखाडने को हो रहे मजबूर

0

झाबुआ Live के लिए रायपरिया से हरिश ;आशीष & पन्नालाल की पडताल ।

कभी खुबसूरत सा लाल लाल दिखने वाला टमाटर अब टमाटर उत्पादक किसानों को ” खून के आंसू” रुला रहा है , दरअसल टमाटर इन दिनों झाबुआ जिले की पेटलावद तहसील मे थोक मे 2 रुपये किलो बिक रहा है जबकि लागत ही करीब 5 से 6 रुपये प्रतिकिलो होती है लिहाजा इलाके के किसान इस बार टमाटर तो नहीं फेंक रहे बल्कि खेतों से टमाटर के पोधै ही उखाड़ने की तैयारी मे है कई ने बुधवार ओर गुरुवार मे अपने खेतों से टमाटर की फसल मजदूर लगाकर उखाड़कर फिकवा दी है जबकि कई किसान ऐसा करने की तैयारी मे है ।

टमाटर फेंकना महंगा था : टमाटर के पोधै ही उखाड़ना सस्ता
=========================
दरअसल विगत वर्ष किसानों ने टमाटर के दाम गिरने पर बडी तादात मे टमाटर नदी – नालों या साव॔जनिक जगहों पर तोडकर फेक दिये थे लेकिन इस बार टमाटर फेंके नहीं जा रहे है बल्कि टमाटर के पोधै उखाड़कर ही फेंके जाने की शुरुआत की गयी है किसान लालसिंह चोधरी कहते है कि टमाटर फेंकने के लिए पहले लेबर लगाओ ओर फिर भी दाम ना आये तो फसल उखाडने के लिए लेबर लगाना पडता है पहले ही लागत नहीं निकल रही इसलिए हम एक बार मे ही फसल उखाड़कर फिकवा रहे है वही किसान रामेश्वर पाटीदार कहते है कि 5 से 6 रुपये लागत आती है वह भी नहीं निकल रही तो हम क्या करें इसलिए टमाटर के पोधे उखाडना ही विकल्प था क्योकि सरकार टमाटर को भावांतर मे लेने कोतवाली तैयार नहीं है ।

भावांतर मे शामिल करने की मांग
========================
भारतीय किसान युनियन भी अब इन टमाटर उत्पादक किसानों के समथ॔न मे कुद पडा है इस युनियन के जिलाध्यक्ष महेन्द्र हामड कहते है कि हमने कई बार सरकार को चिट्ठी लिखकर टमाटर को भावांतर योजना मे शामिल करने की मांग की मगर सरकार सुनवाई नहीं करती ऐसे मे किसान के सामने सीमित विकल्प है कि वह या तो आत्महत्या करें या आंदोलन । किसान लालसिंह चोधरी भी कहते है कि प्याज की तरह सरकार टमाटर भी खरीदे या इसे भावांतर योजना मे शामिल करें तो किसानों को लाभ नहीं तो कम से कम लागत तो निकलेंगी ।

सबसे बडी टमाटर उत्पादक है पेटलावद तहसील
=========================
गोरतलब है कि झाबुआ जिले की पेटलावद तहसील मे सबसे ज्यादा टमाटर होता है करीब ढाई हजार से अधिक किसान टमाटर की पैदावार करते है ओर यहाँ का टमाटर पाकिस्तान ओर अफगानिस्तान तक दिल्ली होते हुए जाता रहा है कभी वाघा बाड॔र बंद होने से तो कभी मोसम की मार से यहाँ के टमाटर उत्पादक किसानों को नुकसान होता रहा है मगर आज दिन तक सरकार इन किसानों को टमाटर का सही दाम दिलवाने मे या टमाटर से जुडी कोई फूड प्रोसेसिंग युनिट इलाके मे लगाने मे नाकाम रही है ।

Leave A Reply

Your email address will not be published.