नेशनल लोक अदालत कल, 13 खंडपीठों का किया गया गठन

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झाबुआ लाइव के लिए विपुल पंचाल की रिपोर्ट-
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नईदिल्ली के निर्देशानुसार और जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण झाबुआ के अध्यक्ष अशोककुमार तिवारी के मार्गदर्शन में 10 फरवरी को नेशनल लोक अदालत का आयोजन जिला न्यायालय झाबुआ एवं तहसील न्यायालय थांदला तथा पेटलावद में किया जाएगा। इस हेतु जिला मुख्यालय झाबुआ में 9 खंडपीठ एवं तहसील न्यायालय थांदला तथा पेटलावद हेतु 2-2 खंडपीठों का गठन किया गया है। इन खंडपीठों में न्यायालय के लंबित करीब 2 हजार 307 प्रकरण निराकृत हेतु रखे जाएंगे तथा प्रिलिटिगेशन प्रकरण के रूप में विद्युत के 51, बैंक के 1 हजार 556 तथा नगर पालिका के 106 प्रकरण निराकृत हेतु रखे जाएंगे। खंडपीठ 1 पर पीठासीन अधिकारी एके तिवारी, सुलहकर्ता सदस्य अनिल संघवी एवं एमएल फुलपगारे, खंडपीठ 2 पर पीठासीन अधिकारी अशवाक अहमद खान, सुलहकर्ता सदस्य जितेन्द्रप्रसाद अग्निहोत्री तथा जयेन्द्र बैरागी, खंडपीठ 3 पीठासीन अधिकारी एएस अलावा, सुलहकर्ता सदस्य नरेश डोशी एवं प्रवीण रोझ, खंडपीठ 4 पर पीठासीन अधिकारी सुनील मालवीय, सुलहकर्ता सदस्य प्रतीक मेहता एवं धनसिंह भूरिया, खंडपीठ 5 पर पीठासीन अधिकारी कमलेश सनोडिया, सुलहकर्ता सदस्य मनीष कानूनगो एवं प्रवीण रोझ, खंडपीठ 6 पर पीठासीन अधिकारी राधाकिशन मालवीय, सुलहकर्ता सदस्य अखिलेश संघवी एवं सरदारसिंह वसुनिया, खंडपीठ 7 पर पीठासीन अधिकारी दीपककुमार अग्रवाल, सुलहकर्ता सदस्य मोहलनलाल गामड एवं हवसिंह मालीवाड़, खंडपीठ 8 पर पीठासीन अधिकारी नीलिमा देवदत्त, सुलहकर्ता सदस्य शिल्पा सोनी एवं जौहिंग भुरिया, खंडपीठ 8 पर पीठासीन अधिकारी देवदत्त सुलहकर्ता सदस्य राजेन्द्रकुमार बुटाला एवं मोहनसिंह भूरिया, खंडपीठ 10 पर पीठासीन अधिकारी आरएस मडिय़ा, सुलहकर्ता सदस्य पूनमचंद गादिया एवं कविता बारिया, खंडपीठ 11 पर पीठासीन अधिकारी महेन्द्रसिंह रावत, सुलहकर्ता सदस्य जितेन्द्र जैन एवं हवसिंह कटारा, खंडपीठ 12 पर पीठासीन अधिकारी अनिल चौहान, सुलहकर्ता सदस्य रूपम पटवा एवं किशनसिंह गामड, खंडपीठ 13 पर पीठासीन अधिकारी सूर्यपालसिह राठौर, सुलहकर्ता सदस्य अविनाश उपाध्याय एवं दिनेश कतिजा उपस्थित रहकर आए प्रकरणों का निराकरण करेंगे। लोक अदालत का समय सुबह 10:30 बजे से रहेगा। जिला विधिक सहायता अधिकारी सिमोन सुलिया ने समस्त पक्षकारों से अपील की है कि वे अधिकाधिक अपने प्रकरणों का निराकरण लोक अदालत में करवाकर लोक अदालत का लाभ ले।

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