उमापति महादेव मंदिर विवेकानंद कालोनी में शनिवार को श्रीदेवी भागवत कथा के समापन के अवसर पर नवदुर्गा के 9वें स्वरूप के नीमित्त नवचंडी महायज्ञ का प्रातः 10 से 12.30 बजे तक आयोजन किया गया तथा पंडित भगवती प्रसाद अग्निहोत्री उज्जैन द्वारा विधि विधान से यजमान मनोज भाटी एवं मोहनलाल व्यास से सपत्नीक पूर्णाहूति सम्पन्न करवाई जाकर यज्ञ भगवान की महामंगल आरती एवं अनुष्ठान संपन्न करवाए। यज्ञ की समाप्ति के साथ ही पंडित प्रेम नारायण पुराणिक द्वारा देवी भागवत की संगीत मय कथा प्रस्तुत करते हुए कहा कि राजा परीक्षित जो महाभारत युूद्ध के बाद उत्तराधिकारी थे ने कहा कि देवी भागवत के श्रवण के बाद उद्धार होना निश्चित है। पंडित पौराणिक ने देवी महिमा का बखान करते हुए कहा कि शास्त्रों में या देवी सर्व भूतेषु शक्ति रुपीणी संस्थिना नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः ऐसा बिज मंत्र है जिससे देवी का पूरा सरंक्षण मिलता है। उन्हांेने आगे कहा कि जब तक प्रकृति एवं पुरूष का संयोग नहीं होता तब तक महाकाय पैदा नहीं होता है। भागवत वह सूर सरिता है जिसका जितनी बार श्रवण किया जावे हर बार नया प्रसंग मालुम होता है और तृप्ति नही होती है। पण्डित पौराणिक ने सत्यवान सावित्री कथा का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान का अनुष्ठान हर घर में होना चाहिए। गायत्री मंत्र का उच्चारण श्रद्धा एवं विश्वास के साथ मन से होना चाहिए जिससे उसकी सकारात्मक उर्जा हर साधक को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती है। गायत्री मंत्र अपने आप में स्वयं देवी स्वरूपा है। भगवत कथा वह अमृत है जिससे मानव के जीवन में आमुलचूल बदलाव आता है। सत्संग का जादू हर मानव को जीने की कला सिखाता है। पण्डित पौराणिक ने कथा के समापन के अवसर पर कहा कि ’ लगा सको तो फूल लगाओ, कांटे लगाना न सीखों, जला सकों तो दीप जलाओं, दीप बुझाना मत सीखो।’ उन्हांेने भागवन कथा के माहत्म्य का उल्लेख करते हुए कहा कि देवी भागवत कथा के श्रवण मनन करने से अश्वमेघ यज्ञ का लाभ मिलता है। भागवत ऐसी गंगा है जिसे जहां भी बुलाया जावे वो जन कल्याण के लिये स्वतः चल कर आजाती है ।देवी भागवत कथा वेदों का सार है और इस ज्ञान गंगा में डूबकी लगाने से तन,मन और आत्मा तो पवित्र होती ही है, मोक्ष के द्वार भी खुल जाते हैं। दोपहर 3 बजे कथा के समापन के साथ ही विधि विधान से पोथी पूजन का आयोजन सम्पन्न हुआ और महामंगल आरती की गई। पिछले नौ दिनों से उमापति महादेव के दराबार में देवी भागवत कथा का बडी संख्या में महिलाओं ने योग दान दिया।
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