बैंडबाजों के साथ धूमधाम से हुआ आचार्यद्वय का मंगल वेश, समाजजनों ने की आगवनी,

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झाबुआ लाइव के लिए बामनिया से लोकेंद्र चाणोदिया की रिपोर्ट-
 राष्ट्रसंत आचार्य श्रीमद्विजय जयंतसेनसूरीश्वरजी के पट्टधर गच्छाधिपति आचार्यश्री नित्यसेनसूरीश्वरजी व आचार्यश्री जयरत्नसूरीश्वरजी का साधु-साध्वी मंडल सहित नगर में खवासा की ओर से बैंडबाजों और ढोल-ढमाकों के साथ धूमधाम से मंगल प्रवेश हुआ। इस अवसर पर बड़ी संख्या में समाजजन पहले ही आचार्यद्वय की आगवानी हेतु खवासा पहुंच गए थे। मंगलप्रवेश यात्रा में समाजजनों ने जगह-जगह गहुली कर मुनिश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्यद्वय के आचार्य पद प्राप्त होने के बाद प्रथम बार नगर आगमन होने पर समाजजनों में खासा उत्साह नजर आया। मंगलप्रवेश के बाद खवासा नाके से जयंत गुरू और भगवान महावीर स्वामी के जयकारों के साथ शोभायात्रा निकली जो नगर के प्रमुख मार्गों से होती हुई, पेटलावद रोड स्थित महावीर स्थानक भवन पर पहुंचकर धर्मसभा में तब्दील हो गई।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्यश्री जयरत्नसूरीश्वरजी कहा कि पूर्व जन्म में हमने कई अच्छे कर्म किए होंगे जैसे धर्म-आराधना, तप-तपस्या, दया-क्षमा जिसके बाद हमे मनुष्य भव मिला, जिससे हम श्रावक बन पाए. श्रावक जन्म मिलना ही उचित नहीं आपकों इसे धर्म के साथ सद्मार्ग पर चलकर सार्थक करना है। अगर हम अपने जीवन को सार्थक नहीं कर धर्म नहीं लगाते है तो हमारा जीवन भी एक पशु के समान ही है. आचार्यश्री ने मनुष्य व पशु में अंतर बताते हुए कि आहार, निंद्रा, भय यह दोनों में समान है। मनुष्य और पशु में यह फर्क है कि मनुष्य के पास धर्म है, जिससे वह मोक्ष प्राप्त कर सकता है. किंतु आज मनुष्य धर्म को छोडक़र बुराई और निंदा में लगा है। आप सभी धर्म आराधना कर अपनी आत्मा का कल्याण करें।
स्वामी वात्सल्य हुआ
त्रिस्तुतिक श्रीसंघ की ओर से शाम को नारेला रोड स्थित मांगलिक भवन पर कङ्क्ष सकल जैन समाज का स्वामी वात्सल्य का आयोजन नारेला रोड स्थित मांगलिक भवन पर हुआ। आचार्यद्वय ने बुधवार सुबह पेटलावद की ओर विहार किया। राजकीय अतिथि के मंगल प्रवेश होने के चलते पुलिस प्रशासन भी सर्तक नजर आया। चौकी प्रभारी इंद्रपालसिंह राठौर व सीएल सोलंकी मुस्तैदी से पुलिस व्यवस्था संभाले हुए थे।

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