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झाबुआ लाइव के लिऐ मुकेश परमार की रिपोर्ट । आदिवासी अंचल झाबुआ ओर अलीराजपुर मे दर्जन भर से अधिक चिटफंड कंपनिया सक्रिय है इनमे से 3 कंपनिया पब्लिक की गाढी कमाई का रुपया लेकर फरार हो चुकी है या हाथ खडे कर चुकी है जबकि कुछ कंपनिया अगले एक साल से 3 सालो के भीतर जनता की गाढी कमाई को चूना लगाने वाली है ।पूरा विश्लेषण पढिए इस रिपोर्ट में —
एचबीएन दे गई गच्चा
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आज से करीब 8 साल पहले झाबुआ जिले मे एक कंपनी आई थी एचबीएन । ओर इस कंपनी से तमाम सरकारी कर्मचारियों को कुछ इस तरह से बरगलाया कि उनमे से ज्यादातर अपनी पत्नी या अन्य रिश्तेदार के नाम से आरडी या एफडी करने लगे थे उन्हें महंगे टूर पैकेज ओर कारे दी जाने लगी । नतीजा उन कर्मचारी के भुल भुलैया मे लोग यह सोचकर उलझ गये कि कर्मचारी अगर यह काम कर रहे है तो सब कुछ ठीक ही होगा । कुछ स्थानीय प्रतिष्ठित व्यापारीगण भी इस कंपनी के बहकावे मे आ गये ओर परिणाम इस गरीब आदिवासी अंचल से करोडो रुपये रकम जल्द दुगुनी करने के नाम पर उगाहे गये ओर परिणाम यह हुआ कि गरीबो ओर जरुरत मंद लोगो की बचत करोडो मे चली गई ओर आज जो चैक भागीरथी प्रयासो से मिल भी रहे है तो वह बाउंस हो रहे है अधिकांश एजेंट तो भूमिगत हो गये है तो कुछ ने फर्जीवाड़े का ज्ञान हासिल करने दूसरी कंपनी बनाकर करोडो का खेल करने डाला अब वे कंपनिया भी सेबी ओर हमारे राडार पर है जल्द ही उनका भी खुलासा इसी वेब चैनल परि होगा ।
काम यहा आफिस गुजरात में
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पाठक एक बात समझ ले कभी उन्होंने यहा सोचा है कि जो चिटफंड कंपनिया झाबुआ में गरीबो काम रुपया बटोर रहे है उनका झाबुआ जिले में कही आफिस क्यो नही होता ।हमेशा गुजरात राज्य मे क्यो ? क्योकि तकनीकी रुप से कारवाई से बचना आसान होगा जाता है ।
रिजर्व बैंक ओर सेबी की परमीशन नही
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जो लोग आपके रुपये को महज कुछ सालो मे दोगुना करने के नाम पर एफडी ले रहे है या रोज का आरडी के नाम पर रुपया ले रहे है यह सब एक गैर कानूनी काम है जो बिना रिजर्व बैंक ओर सेबी की अनुमति से हो रहा है ।हम अगले अंक मे किन कंपनियो को रिजर्व बैंक काली सूची मे डाल चुका है ओर किन को एफडी ओर आरडी की इजाजत नही है उनकी सूची जारी करेगे ।
नये रुप मे आयेगे चिटफंड कंपनिया
चिटफंड कंपनी पर कसते सरकारी शिकंजे ने उन्हें दूसरे रुप मे आकर एफडी ओर आरडी करने का फार्मूला ढुंढ लिया है । यह तरीका क्या है पढ़ेगा अगले अंक मे ।
साईप्रसाद हुई डिफाल्टर
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साइप्रसाद नामक चिटफंड कंपनी ने करोडो रुपये बटोरे ओर डकार गई लेकिन अब जाकर उसके सरगना को पकडा जा सका है ।
डेयरी या प्रोडक्ट से छलावा
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अधिकांश कंपनी दावा करती है कि वह डेयरी या अन्य कोई प्रोडक्शन के जरिए मुनाफा कमाकर एफडी ओर आरडी की रकम को लोटायेगे लेकिन यह सिर्फ कानूनी कवर है हकीकत मे कुछ नही । सारी चिटफंड कंपनी 5 से 8 साल के भीतर गरीबो का करोडो रुपये बटोरकर गायब हो जाती है ।