दोमुंही सांप की दुर्लभ प्रजाति की तस्करी करने वाले 11 आरोपियों को अर्थदंड व तीन वर्ष का कारावास

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
6 वर्ष पूर्व अवैध रूप से दो मुंहे सांप को बेचने के मामले में 11 लोगों को बुधवार को पेटलावद न्यायालय ने सश्रम कारावास और अर्थदंड से दंडित किया है। मामले के मुताबिक 4 फरवरी 2011 को पुलिस पेटलावद को मुखबिर से सूचना मिली की आरोपी अवैध रूप से रुपए का लेन-देन कर दो मुंहे सर्प जो प्राय: विलुप्त प्रजाति है का विक्रय अवैध रूप से कर रहे है। सूचना पर पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से दो मुंहे सांप जब्त कर मुक्त करवाया था और नगद 10 हजार रूपए भी जब्त किए थे। इस मामले में आवश्यक अनुसंधान पश्चात पुलिस द्वारा अभियोग पत्र पेश किया गया जिसमें आरोपियों को दोषी पाते हुए उन्हे बुधवार को न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी अनिल कुमार चौहान द्वारा वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम की धारा 9- 51, 48-51, 49-51 के तहत आरोपी रामुनाथ, भंवर नाथ, विलनाथ को प्रत्येक धारा में 3 वर्ष का सश्रम कारावास और 15 हजार रूपए के अर्थदंड से दंडित किया और धारा 9-51 और 49-51 में बल्लू, रामनिवास, अतुल, सुखबीर, तेजवीर और मनोज को तीन वर्ष का सश्रम कारावास और 10 हजार रूपए का अर्थदंड से दंडित किया।
दो मुंहे सांप का अवैध धंधा-
क्षेत्र में दो मुंहे सांप को बेचने का अवैध धंधा चल रहा था जिसमें कुछ लोग सक्रिय थे तथा वे बड़े बड़े लोगों को अवैध तरीके से पैसों की लालच में दो मुंहे सांप बेचते थे जिनकी कीमत 50 हजार रूपए से लेकर 3 लाख रूपए तक वसूल की जाती थी। बताया जाता है दो मुंह सांप जिसे दमोई बोलते है। इसका दवाइयों और अन्य कार्यों के लिए उपयोग होता है जो कि विलुप्त प्रजाति होती है, जिसके लिए विदेशों और बड़े बाजारों में इसकी कीमत लाखों रूपए बताई जाती है. जिसके चलते क्षेत्र में एक रेकेट के रूप में उक्त कार्य को अंजाम दिया जा रहा था। तत्कालीन टीआई द्विवेदी ने इस मामले की जानकारी लगते ही खरीदारों को पकड़ा और इसके साथ ही बेचने वाले लोगों को भी पकडऩे में सफलता प्राप्त की थी। उस दरमियान टीआई ने दावा भी किया था कि इस रेकेट से जुड़े बड़े लोगों को भी पकडऩे का प्रयास किया जाएगा किंतु छोटे लोगों के पकड़ में आने के बाद वे लोग मौका देख कर भाग निकले।

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