झाबुआ लाइव डेस्क ॥ भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच अक्टूबर और नवंबर में होने वाले 5 मैचों की वनडे सीरीज का एक मुकाबला इंदौर में खेला जाएगा. ग्वालियर क्रिकेट एसोसिएशन के मैच कराने में असमर्थता जाहिर करने के बाद इंदौर के होलकर स्टेडियम का चयन किया गया है. बीसीसीआई ने मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एमपीसीए) को मेजबानी सौंपी थी.
एमपीसीए के सचिव मिलिंद कनमड़ीकर ने एक बयान जारी कर कहा कि भारत और अफ्रीका के बीच प्रस्तावित वनडे मुकाबला इंदौर के होलकर स्टेडियम में खेला जाएगा. रोटेशन पॉलिसी के लिहाज से मैच कराने की बारी ग्वालियर की थीं. ग्वालियर क्रिकेट एसोसिएशन ने बैठक के बाद मैच की मेजबानी नहीं करने का फैसला लिया. इसी वजह से इंदौर की लॉटरी लग गई.
बीसीसीआई की दौरा और कार्यक्रम समिति ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अक्टूबर और नवंबर में होने वाली चार टेस्ट मैचों, पांच वनडे और तीन टी-20 मैचों के दौरा कार्यक्रम को अंतिम रूप दे दिया था. अफ्रीका के खिलाफ पांच वनडे मैचों का आयोजन चेन्नई, कानपुर, एमपीसीए, राजकोट और मुंबई में कराया जाएगा. वहीं मध्य प्रदेश में ग्वालियर या इंदौर में किसी एक मैदान को चुना जाना था.
मध्य प्रदेश में इंदौर और ग्वालियर दो इंटरनेशनल क्रिकेट मैदान है. इंदौर में आखिरी वनडे दिसंबर 2011 में खेला गया था. ग्वालियर में 24 फरवरी 2010 को खेले गए मैच में सचिन तेंडुलकर ने अफ्रीका के खिलाफ दोहरा शतक जमाया था तो इंदौर में वेस्टइंडीज के खिलाफ वीरेन्द्र सहवाग ने यह करिश्मा दोहराया था.
बीसीसीआई की राजनीति से एमपी को नहीं मिली मेजबानी
बीसीसीआई नेतृत्व में हुए बदलाव के बाद अब इंदौर, ग्वालियर और नागपुर में इंटरनेशनल क्रिकेट की वापसी होती दिख रही है. दरअसल, विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन और एमपीसीए के तहत आने वाले यह तीनों मैदान लंबे अरसे से मेजबानी के लिए तरस गए थे. विदर्भ की कमान शशांक मनोहर के हाथों में है, जबकि एमपीसीए में सत्ता के सूत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथों में हैं.
यह दोनों श्रीनिवासन लॉबी विरोधी माने जाते हैं. श्रीनिवासन के विवादित तीन वर्षों के कार्यकाल में नागपुर को एक भी टेस्ट की मेजबानी नहीं मिली थीं. मध्य प्रदेश को चार साल से वनडे की मेजबानी का इंतजार था.
एमपीसीए के मौजूदा अध्यक्ष संजय जगदाले के बीसीसीआई सचिव रहने के दौरान एमपीसीए ने चार साल में दो वनडे की मेजबानी की थी. जगदाले के इस्तीफे और श्रीनिवासन के मजबूत होने के साथ ही इंदौर और ग्वालियर से इंटरनेशनल क्रिकेट दूर होता गया.