इन 10 बड़ी गलतीयों के कारण ” पेटलावद ब्लास्ट ” मे सरकार की नियत पर उठते है सवाल

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पेटलावद ब्लास्ट के मामले मे मध्यप्रदेश सरकार कई बार आम लोगों के मन मे संशय तो विपक्ष के मन मे गुस्से का शिकार रही है 10 कारणों के जरिए इसकी वजह बता रहे है पत्रकार ” चंद्रभान सिंह भदोरिया ” यह लेख उनके फैसबुक पेज से साभार लिया जा रहा है ।

चंद्रभान सिंह भदोरिया 

इन 10 बड़ी गलतीयों के कारण ” पेटलावद ब्लास्ट ” मे सरकार की नियत पर उठते है सवाल ।
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12 सितम्बर 2015
समय – सुबह – 8.30
स्थान – न्यू बस स्टैंड पेटलावद
हादसा -भीषण धमाका
नतीजा – 78 जाने गयी
घायल – 38 लोग
यह वह प्रोफाइल है जो 12 सितम्बर को मध्यप्रदेश के इतिहास के सबसे काले दिन के रुप मे चिर स्थाई कर गयी । लेकिन शुरुआत मे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चोहान ने जिस तरह से इसे हेंडिल किया उसके बाद उन्होंने इसे अफसरों के भरोसे छोड दिया नतीजा वही ढाक के तीन पात । मेरी नजर मे यह 10 बडे कारण है जिनके चलते समय समय पर आम लोगों मे सरकार की नियत पर सवाल उठते रहे है । यह है वह 10 कारण —

1)- मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी त्रासदी के दिन केंद्रीय गृहमंत्री मध्यप्रदेश मे थे ओर विश्व हिंदी सम्मेलन के समापन मे आये थे उन्होंने करीब 8 घंटे का समय भोपाल मे गुजारा मगर पेटलावद आने की जनमत ना उस दिन उठाई ना हादसे के बाद राजनाथ या कोई केंद्रीय मंत्री पेटलावद आया ।

2)- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चोहान ने मृतकों की जान की कीमत महज 5 / 5 लाख रुपये आंकी जबकि पेटलावद से 200 किमी दुर मंदसोर जाकर यह कीमत 1 करोड़ रुपये हो जाती है

3)- मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि भव्य श्रंदाजलि चोंक पेटलावद तहसील के सामने बनाऐगे लेकिन आज तक उस घोषणा का कोई अता पता नहीं है ओर रोजगार के रुप मे महज 25 लोगों को अंशकालिक काम दिया गया है कुछ विधवाओं को तो विधवा पेंशन का इंतजार है ।

4)- पेटलावद ब्लास्ट की जांच झाबुआ पुलिस की एसआईटी से लेकर सीआईडी या सीबीआई से करवाई जा सकती थी लेकिन शिवराज सरकार ऐसा करने से शुरु से बचती रही ।

5)- पेटलावद की जेएमएफसी कोट॔ ने जब 6 लोगों का नारको टेस्ट का आदेश दिया तो एक महीने तक सरकार ने नारको टेस्ट का बजट प्रति 55 हजार जारी ही नहीं किया ओर इसी दोरान रहस्यमय ढंग से तीसरे प्रयास के डीएनए जांच मे राजेंद्र कासवा मृत घोषित कर नारको के प्रस्ताव को ही रद्द कर दिया गया ।

6)- राजेंद्र कासवा की कथित डीएनए रिपोर्ट दो बार नकारात्मक निकली थी सवाल यह है कि तीसरी बार जो पोटली नंबर 6 डीएनए के लिए भेजी गयी उसे पहले क्यो नहीं भेजा गया था ? सब जानते है डीएनए देने वाली एजेंसी भी सरकार नियंत्रित होती है । इससे भी सरकार की नियत पर सवाल उठने लाजिमी थे ।

7 )- राजेंद्र कासवा पर 5 लाख रुपये का इनाम आखिर 78 लोगों की जान की कीमत को देखते हुए क्यो नहीं बढाया गया ? अगर इनाम बढाया जाता तो शायद कोई शख्स सामने आ सकता था

8)- मध्यप्रदेश सरकार अगर चाहती तो पेटलावद ब्लास्ट मामले मे विशेष अदालत बनाती ओर प्रति दिन सुनवाई होती लेकिन ऐसा ना करते हुए रुटीन अदालत से सुनवाई करवाई जा रही है ।

9)- पेटलावद ब्लास्ट के लिए बने एक सदस्यीय जांच आयोग का मुख्यालय जानबुझकर सरकार ने इंदोर रखा ताकी पेटलावद इलाके के लोग आयोग से ज्यादा संपक॔ से बचे ।

10 ) – पेटलावद ब्लास्ट की जांच के लिए बने एक सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट आज दिनांक तक आम जनता के समक्ष साव॔जनिक नहीं की गयी है ।

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