कलियुग में भव से पार लगने के लिए केवल भगवान का नाम ही एक मात्र सहारा : पंडित दवे

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
विष्णु महापुराण के महत्व वर्णन नहीं किया जा सकता है जिस प्रकार कोई गुंगा गुड तो खाता है किंतु उसकी विशेषता नहीं बता पाता है। ऐसा ही विष्णु महापुराण के सुनने वालों के साथ है। इस भक्ति रूपी अमृत का सेवन तो करते है और उसका आनंद भी लेते है किंतु वर्णन नहीं कर पाते है। इसलिए इस प्रकार का अमृत पान भक्तों को बार बार करते रहना चाहिए ताकि भव पार लग सके और इस प्रकार के आयोजनों से समाज को नई दिशा मिल सके। उक्त बात नगर के लक्ष्मीनारायण मंदिर पर विष्णु महापुराण के समापन अवसर पर आचार्य पंडित नरेंद्र नंदन दवे ने कही। उन्होंने कहा कि कलियुग में भव से पार लगने के लिए केवल भगवान का नाम ही एक मात्र सहारा है। इस कलियुग में जो भगवान का नाम ले लेता है वहीं पुण्यात्मा है। अन्यथा लोग व्यसनों में लगे हुए है। भगवान ने कलियुग की गति पहले ही बता दी है इसलिए जो लोग आज भगवान स्मरण कर रहे है वह पुण्यशाली है। इसके साथ ही गाय की रबा करना अपना परम धर्म माने तथा गायों के लिए जो कर सके वह करे गाय को रोटी देना, घास देना साथ ही बीमार गायों की सेवा करना पुण्य का कार्य है। यह लाभ ले कर अपने इस जन्म के साथ साथ आने वाले जन्मों को भी सुधार सकते है.
शोभायात्रा से दी विदाई.
कथा के अंतिम दिन रविवार को लक्ष्मीनारायण मंदिर पर महाआरती का आयोजन किया गया, जिसके पश्चात पं. दवे को साफ पहना कर सम्मानित किया गया और नगर के मुख्य मार्गों से शोभायात्रा के रूप में निकले और भक्तों ने भजन किए तथा समापन पं. दवे के निवास स्थान पर हुआ जहां पर भी भक्तों ने आरती की तथा महाप्रसादी का वितरण किया।

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