सत्य की प्राप्ति स्वयं को तपा कर करे : प्रबलयशाजी

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट
पर्युषण पर्व सुप्त यानि सोई हुई चेतना को जगाने का उत्तम समय है। यह पर्व अहंकार से अर्हम यानी वीतराग बनने और विभाव यानी बुरे भावों से स्वभाव की ओर लौटने की प्रेरणा देता है। बाहर की भौतिक दुनिया की चकाचौंध से मुडकर भीतर के अध्यात्म जगत में प्रवेश की प्रेरणा देता है। भीतरी आध्यात्मिक जगत अक्षय सुख-शांति व आनंद का भंडार है। उक्त आशय के उद्गार श्रीजैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण की सुशिष्या साध्वी प्रबलयशाजी ने पर्युषण महापर्व के प्रथम दिन डालिम विहार में श्रावक श्राविकाओं के समक्ष व्यक्त किए। आपने कहा कि दूसरों को कष्ट देकर सत्य प्राप्त की जा सकती है जबकि सत्य की प्राप्ति स्वयं को तपा-तपा कर की जाती है मन और भावों को स्वस्थ रखना हो तो उन पर नियंत्रण करना होगा।
खाद्य संयम दिवस मनाया-
शनिवार को पर्युषण का प्रथम दिन आचार्य महाश्रमण की निर्देश से खाद्य संयम दिवस पर प्रेरणा देते हुए साध्वीश्री ने कहा कि रसपूर्ण भोजन का संयम करने से व्यक्ति में वैराग्य भावना का विकास संतोष की प्राप्ति और वासनाओं का उभार कम होता है। इस अवसर पर साध्वी सुयशप्रभाजी ने कहा जैसे सर्दी के दिनों में प्रात:काल की धूप का महत्व है ठीक वैसे ही हमारे जीवन में संयम का महत्व है। सांसारिक सुख, इंद्रियों के सुख गन्ने के समान प्रारंभ में भले सुखद लगे किंतु परिणाम के रूप में एकदम नीरस होते है। आपने आगम वाणी में वर्णित घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि भोजन का ज्यादा असंयम और इसके प्रति तीव्र आसक्ति के भाव व्यक्ति के जीवन और उसकी आत्मा को पतन की ओर ले जाने वाले होते है। तेरापंथ धर्मसंघ के चौथे आचार्य मज्जयाचार्य का निर्वाण दिवस भाद्रव कृष्णा 12-13 पर 136 वे निर्वाण दिवस पर साध्वीश्री ने कहा कि आप प्रारंभ से विरक्त, स्वाध्यायप्रिय,विशिष्ट ध्यानी,योगी, आगमों के ज्ञाात, सूझबूझ के धनी, अनासक्त साधक,मर्यादाओं के सूत्रधार ,आत्मानुशासी,अनुशासन प्रिय, क्रांतिकारी और अनेकाअनेक विरल गुणों से युक्त आचार्य थे.
प्रतिदिन होंगे धार्मिक आयोजन
श्रीजैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के 11 वें अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी प्रबलयशाजी आदि ठाणा 3 के सानिध्य में प्रतिदिन प्रात:कालीन प्रवचन सुबह 9 से 10.30 बजे तक होंगे, जिसमें तीर्थंकर भगवान महावीर के सम्यक्त प्राप्ति से महावीर बनने तक के मुख्य 27 भवों का आगम आधारित प्रवचन औश्र आचार्य श्री द्वारा निर्देशित प्रतिदिन के निर्धारित विषयों पर भी प्रवचन होंगे। दोपहर में प्रतिदिन धर्मचर्चा और शाम 6.50 से गुरूवंदना और इसके ठीक बाद सामूहिक प्रतिक्रमण और इसके पश्चात भी रात्रिकालीन प्रवचन होंगे।

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