इन सात कारणों से झाबुआ नगर पालिका मे धराशायी हुई ” BJP”

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झाबुआ Live डेस्क के लिए ” मुकेश सोनी “की रिपोर्ट ।

झाबुआ नगर पालिका का चुनाव बीजेपी 1472 वोटों से हार गयी है जैसा की होता है अब हार के कारणों की समीक्षा हो रही है आधिकारिक तोर पर तो बीजेपी को करनी है लेकिन सार्वजनिक बयानबाजी शुरु हो चुकी है इन सब के बीच झाबुआ Live वह सात कारण आपके सामने प्रस्तुत कर रहा है जिनके कारण BJP को बड़ी पराजय का सामना करना पड़ा ।

1)- बीजेपी विगत 20 साल से हमेशा नगर पालिका मे अपना अध्यक्ष का चेहरा बदल देती रही है ताकी पुराने अध्यक्ष के खिलाफ एंटी इंकमेंसी से बचा जा सका लेकिन इस बार बीजेपी ने चेहरा तो बदला लेकिन निवृत्तमान अध्यक्ष धनसिंह बारिया की पत्नी बसंती बारिया को चेहरा बना दिया जो एक गलत फैसला साबित हुआ ।

2)- यह नगर पालिका चुनाव बीजेपी को ” कमल ” को यानी पार्टी को एकीकृत होकर लडना था लेकिन राजगढ़ नाका ने रणनीतिक पूव॔क सभी को साइड लाइन किया ओर शैलेष दुबे यानी राजगढ़ नाका लाबी को केंद्रीकृत कर चुनाव लडा ।

3)- यह एक कटु सत्य है कि राजगढ़ नाका लाबी के उम्मीदवार को टिकट मिलने से बीजेपी के राजबाड़ा ग्रुप ओर संगठन के कुछ लोग पूर्वाग्रहों के चलते बसंती के खिलाफ हो गये ओर भीतरघात जमकर हुआ ।

4)- राजगढ़ नाका लाबी की ओर से भी वही गलती की गयी आधा दर्जन से अधिक बीजेपी के बागियो के लिए अध्यक्ष बनने की चाह मे लगी यह लाबी काम करने लगी नतीजा उल्टा असर मतदाताओं मे हुआ ।

5)- धनसिंह बारिया ने शुरुआत के 4 साल मे जिस तरह से आम लोगों ओर उनके काम की उपेक्षा की साथ ही संवादहीनता की वह भी बसंती बारिया के खिलाफ गयी ।

6)- कांग्रेस एकजुट होकर लडी ; डा विक्रांत भूरिया रतलाम लोकसभा उपचुनाव की तरह कुशल रणनीतिकार के रुप मे उभरे ओर युवाओ को लामबंद कर कांग्रेस को ना सिर्फ पटिऐ पर लायें बल्कि 20 साल बाद वनवास भी समाप्त करवाया ।

7)- झाबुआ के व्यापारीयो ओर कर्मचारियों मे ” चंदा ” एक धंधे के रुप मे स्टेबलिस हुआ ओर अंत तक यह एजेंडा चलता रहा ।

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