प्राचार्य की मनमानी से स्कूल में एडमिशन के लिए भटक रही है छात्राएं

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
शिक्षा सुदूर ग्रामीण अंचलों तक फैले और ग्रामीण बच्चे शिक्षा के प्रकाश से रोशन होकर अपनी जिंदगी संवारे इस उद्देश्य को लेकर सरकारे करोड़ों रुपए खर्च कर रही है और इसलिए जगह-जगह स्कूले, होस्टल खोल रही है ताकि ग्रामीण अंचलों के बच्चे शिक्षा से वंचित नहीं रहे वही प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान अपने आपको प्रदेश का मामा कहलवाते हैं और उनकी शिक्षा के लिए नि:शुल्क यूनिफार्म, पाठ्यपुस्तके, साइकिले बांट रहे हैं लेकिन इसके विपरीत पेटलावद से 27 किमी दूर ग्राम बेकल्दा के शासकीय माध्यमिक विद्यालय में 9वीं की पढ़ाई के पश्चात दसवीं की पढ़ाई पेटलावद के होस्टल में रहकर पढ़ाई करने का मन बनाकर दो छात्राओं ने अपने एसएलएसी निकाल ली। वजह थी कि बेकल्दा में रहकर पढ़ाई करने में उन्हे परेशानी हो रही थी और रातों में बिजली भी रहती है तथा घर पर रहकर ठीक ढंग से वे पढ़ाई नहीं कर पा रही थी। जब वे छात्रा रेखा मुणिया व ज्योति अरड़ कन्या शासकीय माध्यमिक विद्यालय पेटलावद पहुंची तो प्राचार्य योगेंद्र प्रसाद ने यह कहते हुए एडमिशन नहीं दिया कि यहां सीट खाली नहीं है और इसलिए आप यहां पढ़ाई नहीं कर सकती। इस दौरान तीन दिन से प्राचार्य के पास भटकने के बाद छात्रा रेखा मुणिया व ज्योति अरड़ होस्टल अधीक्षिका सीता ठाकुर के पास पहुंची तो उनका कहना है कि होस्टल में 11 लड़कियों की सीट रिक्त है और इन छात्राओं का स्कूल में एडमिशन जाता है तो वे यहां रहकर पढ़ाई कर सकती है। लेकिन दूसरी ओर प्राचार्य द्वारा स्कूल में एडमिशन नहीं देना समझ से परे है। इसी के बीच ज्योति अरड़ एवं रेखा मुणिया के पालकगण एसडीएम सीएस सोलंकी से मुलाकात कर शासकीय कन्या विद्यालय में एडमिशन करवाने के लिए आवेदन दिया।
जिम्मेदार बोल-
स्कूल में छात्राओं के एडमिशन क्यो नहीं हो रहे हैं, प्राचार्य से बात कर मामला बताता हूं।
-गणेश भाबर, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग झाबुआ

 

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