जिले के 265 पटवारी 6 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल पर

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झाबुआ। अपनी 6 सूत्री मांगों को लेकर प्रदेश के निर्देशानुसार जिलेभर के पटवारी भी अपनी मांगों को पूरा करने के लिये आन्दोलनरत है। 10 अप्रैल से तहसील कार्यालय परिसर में पटवारी संघ के बैनर तले पटवारी हड़ताल पर होकर आन्दोलनरत है। पटवारी संघ के जिला अध्यक्ष अखिलेश मुलेवा ने बताया कि मध्यप्रदेश में पटवारी महत्वपूर्ण पद माना जाता है जो शुरूआत से लेकर अंत तक अपनी महत्वपूर्ण भूमिका से जनता की सेवा करता है तथा शासन के लिए जानकारी पहुंचाता है। लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा विगत कई वर्षों से पटवारियों की मांगों को लेकर बरती जा रही उदासीनता व लापरवाही जनता के लिए परेशानी का सबब बन गई है। विगत 10 अप्रैल से अपनी मांगों को लेकर हडताल पर बैठे प्रदेशभर के पटवारियों की आवाज का प्रशासन पर कोई असर होता नजर नहीं आ रहा है इसके विपरीत शासन इन्हें दबाने के लिए नये नियम लादने की तैयारी कर रहा है। लेकिन इस बार पटवारी संघ के नेताओं के तीखे तेवर अलग ही नजर आ रहे है। अतिरिक्त भार के बोझ के नीचे दबे पटवारी अब अपनी कलमबंद हड़ताल के माध्यम से एक बार फिर प्रशासन के लिए मुसीबत बन गए है और इस समय मुख्यमंत्री की चेतावनी भरा बयान पटवारियों में असंतोष का कारण बना हुआ है। गौरतलब है कि बुधवार को बिलहरा में विकास कार्यों का भूमिपूजन करने आये मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने हडताली कर्मचारियों से कहा था कि जनता की सेवा करो वरना नौकरी करने लायक नहीं छोडंूगा. जिससे सभी हडताली कर्मचारियों में रोष है।
जिले में 265 और प्रदेश में 14 हजार 300 पद है रिक्त
पटवारी संघ के जिलाध्यक्ष अखिलेश मुलेवा ने बताया कि प्रदेश में कुल पटवारियों के पद 23 हजार 621 है जिन पर 9हजार 321 पटवारी ही कार्य कर रहें है। इन कार्यरत पटवारियों पर 14 हजार 300 पद का अतिरिक्त बोझ है। वहीं झाबुआ जिले की बात करे तो यहां भी 380 स्वीकृत पद है उनमें से 265 पद रिक्त है। इसका भार पदस्थ पटवारियों पर है। आधे से भी कम संख्या में पदस्थ पटवारी होने पर भी शासन का काम चल रहा है फिर भी प्रशासन की ओर से सबसे पहले पटवारी पर कार्रवाई की जाती है जबकि शासन को चाहिये कि जनता एवं पटवारियों के हित में रिक्त पदों पर पटवारियों की भर्ती की जाए जिससे बेरोजगारी हटे एवं लोगों के काम समय पर हो सके।
10 वर्षों में शासन ने बचाए अरबों रूपये
मुलेवा ने बताया कि प्रदेश में पिछले 10 वर्षों से लगभग 14 हजार 300 पद रिक्त है। आंकलन किया जाये तो एक पटवारी का औसत वेतन 25 हजार रूपये होता है। इस हिसाब से 14 हजार 300 पटवारियों का एक माह का वेतन 35 करोड 75 लाख होता है एवं एक वर्ष का यह वेतन 4 अरब 29 करोड हो जाता है जबकि प्रदेश में यह पद 10 वर्षों से रिक्त है जिनका अतिरिक्त भार 9321 पटवारी झेल रहें है। 10 वर्ष के हिसाब से पटवारियों का औसत वेतन 42 अरब 90 करोड के लगभग हो जाता है। विगत 10 वर्षो में शासन ने पटवारियों पर अतिरिक्त प्रभार का बोझ डालकर अरबों रूपये बचा लिये फिर भी शासन पटवारियों की उचित मांगों को लेकर उदासीन बना हुआ है एवं उनकी जायज मांगों की पूर्ति करने की अपेक्षा हडताली कर्मचारियों को धमकियां दी जा रही है।
जन्म से मरण तक, सृजन से अंत तक पटवारी-
पटवारी संघ के जिलाध्यक्ष के अनुसार पटवारियों को शासन ने अतिरिक्त हल्कों का बोझ तो दिया ही है साथ ही एक अन्य 136 कार्य भी पटवारी द्वारा ही किये जातें है। यथा- जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, कृषि संगणना, लघु सिंचाई संगणना, पशु संगणना, जनगणना, प्रधान मंत्री राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना, सी एम हेल्पलाइन, बीपीएल सर्वे, निर्वाचन कार्य, आगजनी दुर्घटना, सूखा, बाढ़, आपदा, राहत इत्यादि काम प्रशासन पटवारी से लेता है। कलमबंद हड़ताल के 12वें दिन तहसील प्रांगण झाबुआ में पटवारी संघ के जिलाध्यक्ष अखिलेश मुलेवा तहसील अध्यक्ष नानुराम मेरावत, रामसिंह डामोर, चंदनसिंह, गोपाल जोशी, संजय सोनी, अभय व्यास, गोविन्द पटेल, गोविन्द हाडा, उदयसिंह सोलंकी, चंदनसिंह नायक,बाबुलाल सोनी, नब्बुसिंह, सवसिंह भूरा, लक्ष्मी गणावा, हेमेन्द्र कटारा सहित बड़ी संख्या में पटवारी उपस्थित थे।

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