महावीर स्वामी का जन्म कल्याणक दिवस मनाया

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
रविवार को जैन समाज तीन महान अवसरों का साक्षी बना। भगवान महावीर स्वामी का जन्म कल्याणक दिवस आचार्य पूज्यश्री उमेशमुनिजी मास का दीक्षा दिवस मनाया गया तो तपस्या का इतिहास रचने वाली कमलादेवी मेहता के मासबमण का अभिनंदन समारोह भी मनाया गया। इस पावन अवसर पर आचार्यश्री पूज्य रामलाल मसा की सुशिष्या पूज्य ताराकुंवर मसा ने कहा अपना मैकिंग, अपना पैकिंग, अपना मैचिंग और अपना चैकिंग करने का दिन है। हमें निरीक्षण करना है कि हमने महावीर की तरह क्या अपना निर्माण किया? क्या उनके जैसा स्वरूप किया है? क्या अपने भावों का निरीक्षण किया है? और अपना समग्र जीवन भगवान महावीर स्वामी से मिलाया है?
आपने कहा कि महावीर के सूत्रों को दीवारों पर व कैलेंडर पर नहीं दिल में उतारने के लिए है. जैन धर्म जबरदस्त है,जिसमें कोई जबरदस्ती नहीं है. आपने आचार्य उमेशमुनिजी मसा का स्मरण करते हुए कहा कि उनके दीबा दिवस को अपने जीवन का शिक्षा दिवस के रूप में मनाए। आपने अपनी संसारी बहन कमला मेहता की तपस्या की भी अनुमोदना की। साध्वी सुभगतश्री ने कहा कि महावीर के जीवन को लक्ष्य बनाकर जीवन में आचरण में लाए तो महावीर जयंती मनाना सार्थक होगी।
तपस्वी कमला तेजमल मेहता के मासबमण के सम्मान की बोली 8 उपवास से लेकर कुमारी प्रियंका भंडारी ने किया. तेरापंथ समाज, जैन सोश्यल ग्रुप, नगर परिषद आदि द्वारा सम्मान किया गया और चंदनमल चाणोदिया ने एक साथ तीन दिवसी उपवास से किया। इसके साथ ही गुणानुवाद सभा में नप अध्यक्ष संगीता भंडारी, श्रीसंघ अध्यक्ष नरेंद्र कटकानी, सचिव जितेंद्र कटकानी, सोहन चाणोदिया, पूर्व अध्यक्ष शांतिलाल चाणोदिया ने भी संबोधित किया। महावीर समिति अध्यक्ष अशोक मेहता, अरिहंत युवा वाहिनी के अध्यब रूपम पटवा ने स्वामी वात्सल्य का संचालन किया। सभा का संचालन राजेंद्र कटकानी ने किया.

बैंडबाजों से निकाल चल समारोह
जैन समाज के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का 2616 वां जन्म कल्याण महोत्सव सकल जैन समाज ने आज धूमधाम से मनाया। सुबह 8 बजे आदेश्वरनाथ बड़े जैन मंदिर पर बोली लगाई गई. भगवान की रथ यात्रा बैंड-बाजों के साथ निकाली गई इसमें भगवान महावीर स्वामी को बग्गी में विराजित किया गया जिनके दर्शन जगह जगह समाजजनों ने किए. चल समारोह में आगे आगे पुरूष चल रहे थे तो पीछे-पीछे नन्हें बच्चें, बालिकाएं और महिलाएं चल रही थी. चल समारोह में समाजजनों ने जयघोष करते हुए सभी को महावीर भगवान का संदेश जियो और जीने दो दिया। चल समारोह में छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग शांति का प्रतीक सफेद रंग के परिवेश में नजर आए तो महिलाएं और बालिकाएं भी अलग अलग रंग-बिरंगी केसरिया, जामुनिया, गुलाबी वेशभूषा पहने नजर आई। वहीं नन्हीं नन्हीं बालिकाएं भी निर्धारित ड्रेसकोड में नजर आई,जो की आकर्षण का केंद्र बनी.

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