भांजगड़ी प्रथा पर लगेगा जिले में अंकुश : कलेक्टर सक्सेना

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बड़ी संख्या में उपस्थित सरपंच, तड़वी एवं कोटवार।

झाबुआ। स्थानीय कलेक्टोरेट सभाकक्ष में शुक्रवार को दोपहर झाबुआ एवं रामा विकासखंड के सरपंच, तड़वी एवं कोटवारों की वृहद बैठक का आयोजन हुआ। जिसमें अतिथि के रूप में कलेक्टर आशीष सक्सेना, पुलिस अधीक्षक महेशचन्द्र जैन, एसडीएम आरएस बालोदिया एवं जिला सलाहकार मंडल (डीपीए) के अध्यक्ष यशवंत भंडारी उपस्थित थे वही कलेक्टर आशीष सक्सेना द्वारा प्रत्येक विकासखंडों में आप लोगों का सम्मेलन एवं बैठके आयोजित कर भी आव्हान किया जा रहा है कि गांवों की बागडोर आप लोगों के हाथों में होती है और ग्रामीण आपके कहने पर ही कार्य करते है, इस हेतु आप गांववासियों को अपने लडक़े-लड़कियों का बाल विवाह न करवाने एवं शादी में दहेज-दापे के लेन-देन को कम करवाने के लिए जिला प्रशासन पूर्णत: आपके साथ है। साथ ही उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री कन्यादान योजना का लाभ लेने के लिए आप बालिग लडक़े-लड़कियों का सामूहिक विवाह करवाएं। दिव्यांग युवक-युवतियोंं का विवाह 2 अप्रैल को होने वाले सामूहिक विवाह समारोह में करवाने से उन्हें कई योजनाओं का लाभ मिलेगा।
अधिक दापा लेने वालों पर कार्रवाई के निर्देश-
कलेक्टर सक्सेना ने कहा कि आज सभी के सहयोग से धीरे-धीरे जिले में बाल विवाह एवं दहेज-दापे जैसी प्रथा में कमी आ रही है। उन्होंने अधिक दापा मांगने वालों के विरूद्ध कार्रवाई के निर्देश एसडीएम आरएस बालोदिया को इस दौरान प्रदान किए। गांवों में शादियों एवं विभिन्न विवादों के दौरान होने वाली भांजगड़ी प्रथा पर कहा कि अब भांजगड़ी प्रथा पर पूरी तरह से अंकुश लगाया जाए, जिससे आप सभी में सहयोग की अपेक्षा है। कलेक्टर सक्सेना से उपस्थित कई सरपंचों ने भी भांजगड़ी के माध्यम से दापे में अधिक राशि लेन-देन करने की शिकायत दर्ज करवाई।
कम उम्र में विवाह पर जीवन होता है बर्बाद
एसपी महेशचंद्र जैन ने उपस्थित सरपंच, तड़वी एवं कोटवारों से कहा कि आप गांवों में ध्यान दे कि नाबालिग लडक़े-लड़कियों की शाही न हो और ऐसा होता है तो इसकी सूचना जिला प्रशासन के साथ पुलिस प्रशासन को भी दे। आप यह सुनिश्चित करे कि किसी भी परिस्थिति में विशेषकर नाबालिग लड़कियों की शादी न होने दे एवं उन्हें अधिक से अधिक पढऩे का अवसर प्रदान करे। जैन ने आगे बताया कि यदि लडक़ी की कम उम्र में शादी होती है तो उसकी पढ़ाई प्रभावित होने के साथ ही वैवाहिक जीवन में भी कई तरह की दिक्कतों का उन्हें सामना करना पड़ता है एवं पुलिस कार्रवाई से भी जूझना पड़ता है।
दापा लेने परिवार कर्ज में डूब जाते है-
एसडीएम बालोदिया ने बताया कि यहां दापा अधिक होने के कारण कई ग्रामीण इसे चुकाते-चुकाते अत्यधिक कर्ज में डूब जाते है। ग्रामीण पलायन पर जाते है तो अपने पुत्र-पुत्रियों को भी ले जाते है और उनका जीवन भी नारकीय बना देते है। इस अवसर पर एसडीएम बालोदिया ने उपस्थित सरपंच, तड़वी एवं कोटवारों से कहा कि यदि आपको कभी बाल विवाह या दहेज अधिक जैने शिकायत प्राप्त हो तो आप इसकी सूचना तत्काल मुझे दे एवं पुलिस थाने पर भी इसकी सूचना दे सकते है।
अपने-अपने सुझाव व्यक्त किए
बैठक में उपस्थित सरंपच एवं तड़वियो नेे उन्हें गांव में होने वाले बाल विवाह एवं दहेज प्रथा को रोकने में होने वाली परेशानियों से अवगत करवाया एवं इस संबंध में अपने अमूल्य सुझाव भी व्यक्त किए तथा जिला एवं पुलिस प्रशासन को इस कार्य में हर संभव सहयोग करने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर वरिष्ठ आदिवासी समाजसेवी श्यामाभाई ताहेड, सामाजिक कार्यकर्ता रतन डामोर, सरपंच रामसिंह भूरिया, तड़वी गम्मु कोटड़ा, गुलसिंह कोकावद आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। यह बैठक करीब डेढ़ से दो घंटे तक चली। जिसमें बड़ी संख्या में दोनो विकासखंडों से सरपंच, तड़वी एवं कोटवार उपस्थित थे।

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