पार्षद के धरने से उठते सवाल दर सवाल

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झाबुआ Live के लिए ” दिनेश वर्मा ” की EXCLUSIVE पड़ताल 

थादंला मे कांग्रेस पार्षद ” मनीष बघेल” के 75 घंटे के धरने ने कई सवाल नगर की राजनीति को लेकर खडे हो रहे है झाबुआ Live यहाँ इन सवालों की पडताल कर रहा है । दरअसल 5 सवाल बुनियादी तोर पर मनीष बघेल के धरने के साथ ही खडे हो गये है यह सवाल थादंला के हर नागरिक उफ॔ मतदाता के जेहन मे उठ रहे होंगे लेकिन आम मतदाता सिफ॔ चुनाव मे ही अपना गुस्सा निकाल पाता है ।

चिठ्ठी

हम यहाँ यह 5 सवाल रख रहे है ।

1)- पार्षद ” मनीष बघेल ” को थादंला नगर परिषद् के करीब पोनै 5 साल के बाद नगर परिषद् का भ्रष्टाचार क्यो दिखा ? इतने समय क्या वे नगर परिषद् के हर कामों मे सहमत थे ?

2)- अगर नगर परिषद् थादंला मे शुरु से इतनी गडबडीया थी तो ओसतन परिषद् के करीब करीब हर प्रस्ताव- ठहराव पर मनीष बघेल की सहमति के हस्ताक्षर क्यो है ?

3)- अगर कांग्रेस पार्टी नगर परिषद् के भ्रष्टाचार के खिलाफ है तो मनीष बघेल के साथ बाकी पार्षद धरने या भूख हड़ताल पर क्यो नहीं बैठै ?

4)- विगत 3 मार्च की थादंला नगर परिषद् के नेता प्रतिपक्ष अक्षय भट्ट ने एक प्रेस रिलीज जारी किया था जिसमें शहर के महात्मा गांधी मार्ग पर चार दुकानें ( हकीकत मे 5 ) बनाने का विरोध कर नगर परिषद् अध्यक्ष ; उनके पति ओर सीएमओ सहित शहर के भू माफियाओ पर गंभीर आरोप लगाकर जन आदोंलन की चेतावनी दी थी उक्त प्रेस रिलिज मे कांग्रेस के सभी पाष॔दो के नाम थे सिवाय मनीष बघेल के …! तो इस नाम के ना होने का मतलब क्या है ?

5)- सवाल यह भी उठता है कि मनीष बघेल अगर नगर परिषद् के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रहे थे तो कांग्रेस पार्षद आखिर क्यो नदारद थे ? क्या नगर परिषद् मे भ्रष्टाचार से लड़ने के तरीकों को लेकर कांग्रेस मे आपसी कलह है या कोई गुप्त एजेंडा है ?

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