कलेक्टर साहब… एक नजर इधर भी, आपकी इस स्कूल की दशा देखकर यकीनन आप भी सिस्टम को कोसेंगे
झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट-
नौनिहालों को बेहतर भविष्य देने के लिए शासन लाखों करोड़ों खर्च कर हर ग्राम और हर फलिये में भवनों का जाल बिछाकर सुविधाएं मुहैया करवा कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेता है, वहीं जिनके कंधों पर देखरेख का जिम्मा है वे कुंभकर्णी नींद में सो रहे हैं। आलम यह है जहां बच्चों को पढ़ाई करना है उन भवनों में सड़क निर्माण कंपनी के मजदूरों ने डेरा डाल रखा है। वही एक अन्य भवन में पशुओं के लिए आरामगाह बने हुए है। झाबुआ जिले में शिक्षा की गुणवत्ता का जमीन स्तर पर यह आलम है। शिक्षक के साथ जनशिक्षक और संकुल प्राचार्य की लापरवाही दो स्कूलों के करीब 173 बच्चों पर भारी पड़ रही है। मामला पेटलावद के मोहनकोट संकुल केंद्र के ग्राम चेनकावानी और गोठ प्राथमिक शाला का है। इन दोनों स्कूलों की दुर्दशा बता रही है कि शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अपने कर्तव्य का निर्वहन किस ढंग से कर रहे है।
चेनकावानी स्कूल मजदूरों के लिए आरामगाह बनी-

-पेटलावद झाबुआ मार्ग पर ग्राम पंचायत मोहनकोट का ग्राम चेनकावानी में दोपहर 12.30 बजे स्कूल तो खुला हुआ था लेकिन शिक्षक नहीं थे कुछ बच्चे आसपास ही खेल रहे थे लेकिन स्कूल के भीतर का नजारा हर किसी की आंख खोलने के लिए पर्याप्त था। स्कूल भवन के अंदर रखा हुआ सामान बता रहा था कि यहां पिछले कई दिनों से शैक्षणिक कार्य नहीं हुआ है। भवन के अंदर आराम करते हुए सड़क बनाने वाले मजदूरों ने बताया कि यह भवन खाली था और यहां स्कूल भी नहीं लगती है इसलिए हमने यहां रह रहे है। पिछले दो माह से हम यही रह रहे है।
अतिरिक्त कक्ष में बंध रहे मवेशी-

इसी भवन के ठीक सामने वर्ष 2007 में बना हुआ है एक अतिरिक्त कक्ष लेकिन बाहर से दिखलाई दे रहा है कि यह स्थान सिर्फ और सिर्फ मवेशी बांधने के काम आ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि यहां कोई अधिकारी नहीं आता है उसी वजह से यहां का ढर्रा पूरी तरह से बिगड़ा हुआ है। पढऩे के लिए बनाए गए भवन ही जब पशुओं के बांधने के काम आ जाए तो फिर भगवान ही मालिक है। गोबर से पटा पड़ा यह स्थल उस दावे की पोल भी खोलता है जो जिम्मेदार आल इज वेल कहते नहीं थकते है। सवाल यह भी उठता है कि स्थानीय विकासखंड और जिले के अधिकारी कैसी मॉनिटरिंग कर रहे है? और बच्चों के भविष्य के साथ यहां खुलेआम खिलवाड़ हो रहा जो यह साबित करता है कि पूरे कुएं में भांग घुली पड़ी है।
गोठ स्कूल-ईजीएस शाला बनी बकरियों-मुर्गियों का वितरण केंद्र-
चेनकावानी से गोठ जाने वाले पगडंडी देखकर एक बात तो यह भी साबित हो जाती है कि वर्षो से यहां कोई अधिकारी कर्मचारी नहीं आया। कुछ ग्रामीणों के साथ कदमताल करते हुए जब ईजीएस शाला प्राथमिक विद्यालय गोठ पहुंचे तो यहां भी हालात यही थे। करीब 53 बच्चों के भविष्य संवारने वाले जिम्मेदार शिक्षक यहां आते ही नहीं। ऐसी स्थिति में यह स्कूल भवन बकरियों के साथ मुर्गे-मुर्गियों का विचरण केंद्र बना हुआ है यहां पदस्थ शिक्षिका रेखा बामनिया बिना किसी आदेश के मोहनकोट में सेवाएं दे रही है।इस दौरान ग्रामीण काकुड़ीबाई, अनसिंह गामड़ व रामा भूरिया ने कहा कि हमारे बच्चों के नाम स्कूल में लिखे हुए हैं लेकिन शिक्षक पढ़ाने के लिए नहीं आते, जिस कारण से पिछले दो माह से बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है।
ग्रामीणों की जुबानी.

हमारे गांव में दो माह से कोई शिक्षक नहीं आ रहा है पूर्व में भी यहीं स्थिति बनी हुई थी यहां शिक्षक पढ़ाने आते ही नहीं है और तनख्वाह और अन्य सभी कार्य कागजों पर पूर्ण कर लिए जाते है।
जेमाल परमार, पीटीए अध्यक्ष जेनकावानी
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