झकनावदा क्षेत्र के 50 गांवों के खेतों को पानी नहीं मिलने से सूख रही फसले, किसान परेशान

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झाबुआ लाइव के लिए झकनावदा से जितेंद्र राठौड़ की रिपोर्ट-
जिले की पेटलावद विधानसभा आदिवासी बहुल जिले की सबसे बडी विधान सभा है और यहां के मतदाता शिक्षित और जागरुक भी है। पेटलावद विधानसभा के झकनावदा व आसपास के करीब 50 गांवों के किसान अपने क्षेत्र में कोई किसान परियोजना नहीं होने के कारण किसान सिंचाई की पूर्ति नहीं कर पाते है जिससे उन्हें आजीविका चलाने में बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
आखिर कब होगा क्षेत्र सिंचित-
झकनावदा के आसपास करीब 20 पंचायतों में 50 से अधिक गांव लगते है यहां के लोगों का मुख्य स्त्रोत खेती है किसानों का दुर्भाग्य है कि यहां माही डेम बना है किसानों की जमीन डूबी है। माही डेम बनने से संपूर्ण तहसील के अलावा रतलाम-झाबुआ-धार के किसान माही डेम के पानी से खुशहाल है परन्तु जिस जमीन पर माही डेम बना है वहां के किसान बदहाल है इन्हें सिंचाई के लिए कोई परियोजना नहीं है।
मुख्यमंत्री ने किया था लिफ्ट एरिगेशन से पानी देने का वादा-
क्षेत्र के किसानों ने माही के पानी को लिफ्ट एरिगेशन से किसानों के खेत तक पहुंचाने हेतु बोलासा, तारखेडी, धतुरिया, झकनावदा, पालेडी, उमरकोट, बिजोरी, सदावा, साड, चन्द्रगढ़, मोहकमपुरा सहित करीब पांच दर्जन से अधिक लोग कई बार विधायक, सांसद, कलेक्टर से लेकर मंत्रियों एवं मुख्यमंत्री से मुलाकात कर क्षेत्र की समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करवायआ गया, चुनावी समय में नेता जनता को जल्द पानी उपलब्ध कराने का वादा भी करते है किन्तु चुनाव के बाद सब भूल जाते है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने विधानसभा चुनाव के पूर्व अपनी विकास यात्रा के दौरान क्षेत्र के किसानों को लिफ्ट एरिगेशन से पानी पहुंचाने का वादा किया था। और तात्कालिक सांसद अधिकारियों के साथ सांठ-गांठ कर लिफ्ट एरिगेशन से पानी पहुंचाने के लिए इंजीनियर एंव अधिकारियों को लेकर माही का दौरा भी कारवाया था और एक बड़ी राशि स्वीकृत करवाने की बात कही थी परन्तु दिलीपसिंह भूरिया के निधन के बाद वह फाइले भी दफ्तरों में धूल खा रही है।
फसल सूख रही है-
क्षेत्र में अधिकतर आदिवासियों और किसान निवासरत है जिनका मुख्य व्यवसाय कृषि है परंतु सिंचाई के अभाव में किसान खेती को लाभ का धंधा नहीं बना पाते है, जिसके कारण बेरोजगारी बढ़ रही है। क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधन पूरी तरह सूख चुके है, जिससे गरीब आदिवासी दो वक्त की रोटी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है और बेरोजगारी के अभाव में वह पलायन कर जाते है। क्षेत्र के किसान ओमप्रकाश राठौर सेमरोड, शंकर पारगी, मोहनमाली, झकनावदा सरंपच बालू मेडा ने मांग की कि लिफ्ट एरिगेशन सिंचाई परियोजना स्वीकृत कर क्षेत्र में पानी दिलवाया जाए।
लिफ्ट एरिगेशन महंगी पड़ रही है-
हमने आम्बापाड़ा और तारखेड़ी तालाब स्वीकृत करवा दिया है, जल्द ही बोरिया और कांचकुण्डिया स्वीकृत करवाएगे। लिफ्ट एरिगेशन से पानी देना मंहगा पड़ रहा है। सिंचाई परियोजना स्वीकृत करवा कर किसानों के खेतों तक पानी पहुचाएंगे।
– निर्मला भूरिया, विधायक पेटलावद
मुख्यमंत्री केवल घोषणा वीर-
मुख्यमंत्री ने चुनाव के पूर्व झूठी घोषणा कर किसानों के साथ धोखा कर रहे है। सिंचाई नही होने के कारण किसान परेशान है। अगर किसानों को पानी नहीं दिया गया तो किसानों के साथ मिलकर आंदोलन करेंगे।
– वालसिंह भूरिया, पूर्व विधायक पेटलावद

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