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बीमारी हो या दुर्घटना के बाद इलाज के दौरान मरीज को रक्त की जरूरत होती है। कुछ जागरुक लोगों को तो रक्त मिल जाता है पर अधिकांश लोगों को पूर्व में रक्त की लिए इधर उधर भटकना पड़ता था। बहुत से लोगों को निराशा ही हाथ लगती थी। लेकिन जब से टीम रक्तदुत ने जिले में रक्तदान के क्षेत्र में पूर्व कलेक्टर की प्रेरणा से अपनी टीम भावना का परिचय दिखाया है वह जिले को नई पहचान दिला रहा है। टीम रक्त दूत ने अपने जिले में वर्ष 2016 में करीब 1500 यूनिट से अधिक रक्त संग्रहित किया है और उन्हें सैकड़ों जरुरतमंदों तक पहुंचाया भी है जिससे उन जरूरतमंदों की जीवन रक्षा संभव हुई है। वर्तमान में वर्ष 2017 में जिले को 2000 यूनिट का लक्ष्य मिला है। पूर्व में रक्त की जरूरत होने पर हम और हमारा जिला अन्य जिलों पर आश्रित थे। लेकिन आज हमारी टीम ने रक्त की जरुरत को ना सिर्फ पूरा किया है। बल्कि अन्य जिले को भी रक्त दिया है। जो कि हमारी सकारात्मक सोच का परिणाम है। क्योंकि आज हमारा जिला आदिवासी बहुल है और हमारे जिले में अशिक्षा का जो अंधियारा है। वह भी कोई कम कठिन नहीं है। यहां रक्तदान करने वाले व्यक्ति के मन में क्या क्या भ्रांतिया है जो पूर्व से चली आ रही है। पुरानी मान्यताएं, पुरानी मानसिकता भी आडे आ जाती है। लेकिन टीम रक्तदुत के युवाओं का जोश इन विकट परिस्थितियों से कभी पीछे नहीं हटा। जब जब जरूरत हुई जिले के ब्लड बैंक प्रभारी डॉक्टर साहू, डॉ रेवडिया एवं अन्य टेक्नीशियन टीम एटीम रक्त दूत के युवा साथियों ने रक्तदान दाता या रक्तदान करने वाले युवाओं को मोटिवेट करके अहम भूमिका निभाई है वह काबिले तारीफ है। टीम रक्त दूत में जिले से हर बड़े छोटे कस्बे से सदस्य हैं जो 24 घंटे रक्तदान के लिए तत्पर है और जब भी जरूरत होती है रक्तदान के लिए पहुंच जाते हैं। टीम रक्तदूत के पास एक विशेष सॉफ्टवेयर डाउनलोड है जो कि हर सदस्य के एंड्रॉयड मोबाइल में उपलब्ध है, जिसमें हर सदस्य के पास रक्तदाताओं का पूरा ब्योरा है जिससे कि रक्तदान करवाने में सुगमता होती है। टीम की मुख्य कड़ी में जिले के जिला अस्पताल स्टाफ में टेक्नीशियन स्टाफ डॉ साहू, रितेश चौहान, अमोल बैंजामिन खेमराज जमरा व अन्य हमेशा रक्त संग्रहित करने हेतु तैयार रहते हैं। रक्तदान के लिए युवाओं की उम्र 18 वर्ष है पर वर्तमान में उम्र दराज लोग भी रक्तदान के क्षेत्र में आगे आने लगे हैं। यह सभी युवाओं की मेहनत का परिणाम है।