सरहद पर बैठे सैनिकों के लिए नाम जप का दान करे : पं. कमल किशोरजी

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
शरण गीता के ले लो प्यारे अगर मुक्ति पाना है, सुन नीत ध्यान गीता का अगर जीवन बनाना है। इस भजन को गुनगुनाते हुए पंडित कमलकिशोरजी नागर बताया कि आज गीता जयंती है जो की भगवान के श्री मुख से निकली है, जिसमें 700 श्लोकों में से 526 श्लोक भगवान द्वारा कहे गए है। मनुष्य एक बार मां के पेट से जन्म लेता है पर गीता का ज्ञान होने पर उसका एक बार पुन:जन्म होता है जिससे वह द्विज कहलाता है और गीता का ज्ञान ही ब्रम्ह को जानने की योजना है। गीता हमें सिखाती है कि हमारे विचार सात्वीक हो, यह संयोग है कि भागवत कथा के दरमियान गीता जयंती आई है और यह अनुष्ठान भी ऐसे लोगों के लिए है जिन्हे हम मुक्ति दिलाना चाहते है जिसके लिए आज का दिन बहुत ही अच्छा है. एक तो गीता जंयती दूसरा मोक्ष एकादशी और तीसरा भागवत का आयोजन। धर्म में कभी भी पीछे मत रहो,धर्म हमे सिखाता है कि हमेशा आगे बढ़ो धर्म सिखाता है कभी नारी का अपमान मत करों नारी के अपमान से महाभारत हुई जिससे बहुत बड़ी जनहानी हुई, जीवन में दो बाते हमेशा ध्यान रखे। पाप का गड्ढा फूटने मत देना यानी की इतना अधिक पाप मत करना,वह मटका हमेशा रिसता रहे तो चलेग, और दूसरी बात पुण्य का गडढा खुटने मत देना यानी पुण्य कभी कम मत होने देना। हमारे यहां पुण्य करने के कई रास्ते है। भगवान ने 365 दिनों में 451 तीज त्योहार बनाए है, जिससे हम कुछ न कुछ दान पुण्य करते रहे। इसलिए पुण्य कभी कम मत होने देना।
मां का दूध और आशीर्वाद-
मनुष्य जीवन में दो वस्तुएं ऐसी है जो हमेशा नहीं मिलती है वह है मां का दूध और आशीर्वाद यह समय पर मिलते है पर जब मिल जाते है तो जीवन भर साथ रहते है। यह हमें तार देते हैं इसलिए हमेशा इनके प्रति कृतज्ञ रहो इस पर कहा की प्रभु तेरा साथ नहीं छूटे छूट जाए संसार पर प्रभु तेरा साथ नहीं छूटे।
उभी धार मछली चले-पानी में डूबे हाथी-
पं. नागर जी ने कहा कि मछली क्यों तैर पाती है क्योंकि वह पानी की शरणागत है वह पानी के बीना जीना भी नहीं चाहती है, जैसे ही उसे पानी से बाहर निकाला जाता है वह मर जाती है। इस प्रकार मनुष्य को भी भगवान की शरणागत होना चाहिए। यदि आप भगवान की शरण में रहोगे तो वह आपके सारे काम करेगा। क्योंकि कहा गया है कि जो जाके शरण बसे- वाकी वोको लाज यानी जो भगवान की शरण में रहता है उसकी चिंता भगवान करते है।
अन्याय से अर्जित किया धन दस पीढ़ी को दुखी करता है-
मनुष्य को भगवान ने जो दिया है उसमें उसे अपना जीवन चलाना चाहिए, उपरी कमाई के चक्कर में नहीं पडना चाहिए जो ऊपरी कमाई करता है और ऊपर पहुंचना चाहता है। उसे भगवान जल्द ही गिरा भी देते है पर जो पहली पेढ़ी को प्रणाम कर ऊपर चढते है वह सदा भगवान का आशीष पाते है जो भी अन्याय से धन अर्जित करता है उसकी आगे और पीछे की दस पीढिय़ां दुखी होती है।
जब मनुष्य की बुद्वी खराब हो तब उसे कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए, उस समय उसे विद्वान लोगों की शरण में जाना चाहिए और सत्संग करना चाहिए जब मनुष्य सिद्ध पुरूषों के बीच और सिद्ध स्थान पर रहेगा तो उसे कुछ अच्छा ही मिलेगा उसे मांगने की भी जरूरत नहीं पडेगी। आपके घर का पूजा का आसान आपका बस स्टैंड है जहां बैठ कर आप भगवान तक पहुंच सकते है। इसलिए भगवान के पास बैठा करों, सत्संग में बैठा करों सीधे भगवान के पास पहुंच जाओंगे। भगवान के चरण में रहने की बात कहते हुए कहा की जो भगवान की शरण में रहेगा भगवान को नमन करेगा उसका जीवन संवर जाएगा जैसे एक कुल्हाड़ी को पत्थर पर घिसा जाता है तो उसकी धार तीखी हो जाती है वैसी ही मनुष्य अपने आप को भगवान की शरण में रखेगा तो उसका जीवन भी निखर जाएगा। इसके साथ ही भागवत के कई प्रसंगों का दृष्टांत देते हुए भागवत का रसास्वादन करवाया।
प्रतिदिन बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या-
कार्यक्रम आगे बढते जाने से प्रतिदिन श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। लगातार बाहर से आने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। मंडी प्रांगण में मेले जैसा माहौल बन गया है। सुबह कथा प्रारंभ होने के पूर्व मुख्य मार्गों पर वाहनों की इतनी अधिक संख्या हो जाती है की जाम की स्थिति बन जाती है। वहीं जब 3 बजे कथा समाप्त होती है, तो उस समय भी भारी संख्या में भक्तों के आने से जाम की स्थिति निर्मित हो रही है, प्रतिदिन लगभग 12 हजार से अधिक लोग कथा का लाभ ले रहे है और प्रतिदिन संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है। महाआरती के बाद गीता पूजन का आयोजन भी रखा गया, जिसमें कई भक्तों ने गीता जी का पूजन भी किया।

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