रोजगार के अभाव में मजदूरों का पलायन, गांव के गांव हो रहे खाली

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झाबुआ लाइव के लिए झकनावदा से जितेंद्र राठौड़ की रिपोर्ट-
झकनावदा क्षेत्र में अधिकतम लोग गरीब वर्ग से आते है और गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करते है। सरकारे इन गरीबों को अनेक रोजगार देने के वादे करती है परन्तु इन सरकारी दावों ओर जमीनी हकीकत में बड़ा अंतर देखने को मिल रहा है। सरकार ने रोजगार गारंटी अधिनियम बनाकर संसद में पारित करवाया परन्तु इन नियमों का पालन आदिवासी अचंल में नहीं किया जा रहा है।
छह माह से बंद पड़ी रोजगार गारंटी योजना-
विडंबना बना यह है कि जिले की सबसे विकसित तहसील पेटलावद के झकनावदा व आसपास के क्षेत्रों की पंचायत में कोई विकास कार्य नही होने के कारण मजदूर गुजरात की ओर पलायन कर रहे है और क्षेत्र के गांवों में सन्नाटा पसरा हुआ है।
साल भर से नहीं मिली मजदूरी-
झकनावदा व आसपास के क्षैत्र मजदूरों द्वारा मजदूरी करे करीब साल भर गुजरगया लेकिन मजदूरों को आज तक मजदूरी नहीं मिली। वही झकनावदा की मजदूर हिरकीबाई का कहना हेेकि एक वर्ष पुर्व रोड पर मजदूरी की थी किन्तु आज तक एक मजदूरी नहीं मिली। पंचायत के चक्कर लगा-लगा कर थक चुके है। ऐसा ही कहना झकनावदा के बादर मेड़ा का जो छह माह से मजदूरी नहीं मिलने के कारण गुजरात की ओर पलायन करना पड रहा है। ऐसे कई मजदूर है जो पंचायत के चक्कर लगा लगा कर अपने खुन पसीने से की गई मेहनत का मेहनताना छोड़ चुके है। अब बड़ा सवाल यह उठता है कि सरकार मजदूरी के खाते में सीधा पैसा डालने कि बात करती है, फिर इन गरीबों के हम पर डाका कौन डाल रहा है?
गांव हुए खाली व्यापार पर असर-
झकनावदा क्षेत्र की लगभग 2 दर्जन पंचायतों का मुख्य व्यापारिक केन्द्र है और अधिकांश मजदूरों के पलायन पर जाने से क्षेत्र के सभी गांव वीरान हो गए है। जिसका सीधा असर व्यापार पर पड़ रहा है। व्यापारी ऋषभ कोटडिया का कहना है कि ग्राहकी बिलकुल ठप हो गई है। अब हमें वापस पलायन कर गए लोगों के आने का इंतजार है।
मस्टर जारी नहीं पर बढ़ी परेशानी-
ग्रापं झकनावदा द्वारा किए जा रहे निमार्ण में झकनावदा-सोनियारूंडी नाडातोड-रोड पिछले वर्ष बारिश के कारण अधूरा रह गया था, जिसे किसानों को खाषी परेषानी का सामना करना पड रहा है। परन्तु प्रशासनिक अधिकारी इस रोड का मस्टर जारी नहीं कर रहे के जिसका परिणाम किसानों को भुगतना पडा रहा है।
जिम्मेदार बोल-
जिन पंचायतों में निर्माण कार्य नहीं चल रहे है, उन सचिवों का वेतनमान रोका जाएगा और उचित कार्रवाई जाएगी। हमारा पहला दायित्व है मजूदरों को रोजगार देना।
                                              -अनुराग चौधरी, सीईओ जिपं
केवल मजदूरों का इस्तमाल करते हैं-
मप्र के मुख्य मंत्री केवल रोजगार के अवसर देने के नाम पर सिनेट में करोड़ों रुपए खर्च कर रहे है, अधिकारी कर्मचारी भी क्या करें जब उपर से ही पैसा नही आ रहा है। सरकार केवल झूठी घोषणाएं कर रही है जल्द मजदूरों के साथ उग्र आंदोलन करेंगे।
                                   –  राजेश कांसवा, सांसद प्रतिनिधि

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