सांसद कांतिलाल भूरिया ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गांधी से कहा- मप्र की भाजपा सरकार एसटी-एसी विरोधी है

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झाबुआ। बुधवार को नईदिल्ली में सांसद कांतिलाल भूरिया ने कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात कर उन्हें मध्यप्रदेश सरकार की नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण को मप्र उच्च न्यायालय द्वारा असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद मप्र में घटित घटनाक्रम से अवगत करवाया। सांसद भूरिया ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी से कहा कि इस निर्णय के पश्चात लगभग 60 हजार एससी एवं एसटी अधिकारी व कर्मचारी पदावनत हो जाएंगे। गौरतलब है कि मप्र में इसके पूर्व कांग्रेस सरकार द्वारा पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था लागू की गई थी। मप्र उच्च न्यायालय जबलपुर में मप्र सरकार द्वारा जानबूझकर सरकारी पक्ष को कमजोर रखा गया एवं इस विषय में न्यायालय को तथ्यों से अवगत नहीं करवाया गया, जिसके परिणामस्वरूप न्यायालय द्वारा पदोन्नति में आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया। इसके बाद 30 अगस्त को मप्र अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ (अजाक्स) द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में एक एसएलपी दाखिल की गई जिसे एसएलपी (सी) क्रमांक 13954/2016 के संबंध में बिना सुनवाई किए ही रद्द कर दिया गया जिससे की मप्र की एससी-एसटी विरोधी भाजपा सरकार की मंशा पूरी हुई। अगर पदोन्नति में आरक्षण जारी रहता है तो इसका लाभ कांग्रेस पार्टी को जाएगा क्योंकि यह व्यवस्था कांग्रेस पार्टी की सरकार द्वारा ही लागू की गई थी, जबकि भाजपा चाहती है कि यह व्यवस्था खत्म हो जाए। सांसद कांतिलाल भूरिया ने राहुल गांधी को बताया कि विगत दिनों प्रधानमंत्री के आजादनगर दौरे के समय स्थानीय भाजपा नेताओं द्वारा आदिवासी उन्मूलन दिवस मनाया गया था जिसकी निंदा किसी भी भाजपा के नेताओं ने नहीं की। सांसद भूरिया ने राहुल गांधी से आग्रह किया कि आदिवासी कर्मचारी-अधिकारी संघ मप्र द्वारा सितंबर माह में माननीय उच्च न्यायालय में एक एसएलपी दाखिल की है जिसकी सुनवाई 24 अक्टूबर को होनी है। इस हेतु यदि पैरवी जाने माने वकीलों द्वारा की जाती है तो अवश्य ही इसका लाभ एसटी-एससी समुदाय को मिलेगा, अन्यथा मप्र सरकार तो चाहती है कि यह व्यवस्था भंग हो जाए। सांसद कांतिलाल भूरिया ने कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी से कहा कि मप्र में भाजपा सरकार का स्पष्ट संदेश है कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संचालक मोहन भागवत का गुप्त एजेंडा लागू किया जाए और एससी-एसटी समुदाय को समाज की मुख्यधारा से ही काट दिया जाए। इस बात की पुष्टि 18 सितंबर की घटना से होती है जिसमें लगभग 20 हजार बेरोजगार एससी-एसटी युवकों द्वारा भोपाल में शांतिपूर्वक मार्च निकालकर सीएम शिवराजसिंह चौहान को बैकलाग के पदों को शीघ्र ही भरने हेतु ज्ञापन सौंपना चाहते थे लेकिन पुलिस द्वारा बेरोजगारों पर लाठीचार्ज व आंसू गैस छोड़कर उन्हें तितर-बितर कर दिया गया, इसके परिणाम स्वरूप कई युवकों को गंभीर चोटे आई।

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