पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर मांगी ” दिव्यांग ” ने इच्छामृत्यु, कहा न्याय नही मिला तो दीवाली पर दिल्ली या भोपाल मे करुंगा सुसाइड  

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1झाबुआ लाइव के लिए झाबुआ से दिनेश वर्मा की रिपोर्ट-
झाबुआ निवासी एक दिव्यांग युवक प्रवीण पडियार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखकर इच्छामृत्यु की मांग की है ओर दीपावली तक न्याय ना मिलने पर दिल्ली या भोपाल आकर खुद को जलाकर या जहर पीकर सुसाइड करने की सूचना दी है । यह पत्र प्रवीण पडियार ने 13 अक्टूबर को लिखकर प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी थी जहां से उन्हें एसएमएस और डाक विभाग की रिसिविंग पावती भी मिल गई है।
चिट्ठी मे यह आरोप- पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी में विकलांग युवक प्रवीण पडियार ने यह आरोप लगाया है कि वे विगत दो साल से वह शासन की योजना के अंतर्गत नियमानुसार लाभ लेने के लिए भटक रहा है उसके प्रकरण को कभी मंजूर कर लिया जाता है फिर नये नियम लगाकर निरस्त कर दिया जाता है। उसका आरोप है कि वह झाबुआ कलेक्टर की जनसुनवाई मे 100 बार जा चुका है मगर उसे न्याय नही मिला बल्कि पूर्व कलेक्टर डा अरुणा गुप्ता ने उसे जेल भेजने की धमकी तक दे चुकी है उसने पीएम को लिखा है कि वह नि:शक्त से सशक्त बनना चाहता है लेकिन जिला प्रशासन ऐसा होने नही देना चाहता। वह दिल्ली जाकर पीएम आफिस ओर भोपाल मे जाकर मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शाशन की जनसुनवाई मे भी फरियाद लगा चुका है मगर दिल्ली-भोपाल के निर्देशों के बावजूद जिला प्रशासन के अधिकारी उसके साथ ज्यादती कर रहे है लिहाजा उसके पास अब अंतिम विकल्प यही बचा है।
यह है प्रवीण की लड़ाई- दरअसल प्रवीण पडियार हिंदी फिल्म सारांश या टीवी सीरियल आफिस-आफिस का रियल भुक्तभोगी किरदार बन चुका है उसका आरोप है कि उसने पहले विकलांग कोटे से जिला उद्योग केंद्र में बस के लिए आवेदन किया जो मंजूर कर लिया गया मगर 19 अक्टूबर 2015 को प्रकरण यह कहते हुए निरस्त कर दिया गया कि वह विकलांग है बस कैसे चलाएगा, जबकि प्रवीण के अनुसार बस उसे नही चालक को चलानी थी। प्रवीण का आरोप हे कि अगर यही नियम था तो उसे 1 साल तक धक्के खिलाते हुए प्रकरण जिला प्रशासन ने मंजूर क्यो किया थाउसके बाद मुख्यमंत्री शिवराजसिंह टोबाने के झाबुआ दौरे 30 नवंबर 2015 को जब प्रवीण पडियार ने शहर के जेल चौराहे पर सीएम को रोककर शिकायत की तो सीएम ने कहा कि आप दूसरी योजना मे लाभ ले लीजिए आपको दौडऩे नही दूंगा तब प्रवीण ने सीएम से नियमानुसार 900 वर्गफीट जमीन की मांग की गयी इस पर सीएम ने तत्काल प्रशासन से प्रकिया करने को कहा मगर उसके बाद भी हर मंगलवार प्रवीण को चक्कर लगवाये जाते रहे । इसके बाद अधिकारियो ने उसका जमीन प्रकरण मंजूर तो कर लिया मगर पेंच यह लगा दिया कि रहने ओर दुकान के लिए अलग अलग जमीन देंगे । इस पर विकलांग प्रवीण की आपत्ति थी कि हादसे मे उसका दाया पैर वह खो चुका है ओर अभी भी उसके घाव भरे है इसलिए उसे एक ही जगह 900 वर्गफीट जमीन दे दी जाये । मगर प्रशासन ने विगत 7 महीने से इस प्रस्ताव को होल्ड किया हुआ है इस बीच विकलांग प्रवीण पडियार तत्कालीन प्रभारी मंत्री से भरी सभा में न्याय दिलाने या एमपी छोडने की अनुमति देने की मांग कर चुका है ओर उसके बाद भी जब प्रशासन ने कोई एक्शन नही लिया तो यह विकलांग युवक कलेक्टर आफिस के पीछे एक टॉवर पर पर भी मई में चढ़ चुका था तब प्रशासन ने आश्वासन दिया था कि उसे एक मुश्त जमीन उपलब्ध करवा दी जाएगी मगर उसके बाद भी कोई फैसला नहीं हुआ ओर अब नये कलेक्टर आशीष सक्सेना से चार बार मिलने पर उसे जमीन की बजाय फिर दूसरी योजना मे लाभ लेने का सुझाव मिल रहा है । प्रवीण का आरोप है कि जिला औदयोगिक केंद्र जाने पर उससे बदसलूकी ओर गाली गलोच की जाती है और अधिकारी-कर्मचारी एक्टोसिटी एक्ट में फंसाने की धमकी देते हैं।

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