जीवन एक समस्या भी हैं, समाधान भी : श्रमण सिध्द प्रज्ञजी

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झाबुआ लाइव के लिए बामनिया से लोकेंद्र चाणोदिया की रिपोर्ट-
जीवन एक समस्या भी हैं तो जीवन एक समाधान भी। जीवन को यदि जीना समझ लिया तो वह समाधान हैं। जीवन को जीना नही समझा तो वह एक समस्या है। उक्त उद्बोधन तेरापंथ सभा भवन में जीवन जीने की कला विषय पर श्रमण सिध्द प्रज्ञजी ने दिए। जीवन श्रमण जी ने आगे कहा कि हमारा जीवन तीन अवस्थाओं- बचपन, जवानी और बूढ़ापे में बटा हुआ है। बचपना- नादानी में चला जाता है, जवानी- वह है, जो आके चली जाती है और बुढापा-जो कभी भी नहीं जाता। जीवन की सबसे बडी कला आप भला तो जग भला जीवन को कैसे जीना, ये आपके हाथ में हैं। सभा का संचालन पकज महता ने किया, आभार राजमल मेहता ने माना।

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