1 डॉक्टर के भरोसे 40 गांवों के लोग

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IMG-20160811-WA0023 copyझाबुआ लाइव के लिए झकनावदा से जितेंद्र राठौड़ की रिपोर्ट-
वैसे तो आजादी के बाद से ही केन्द्र ओर प्रदेश सरकारे ग्रामीण अचंल में स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाने के बड़े-बड़े वादे करती आई है, पर सरकारी दावों और जमीनी हकीकत में कोसों अंतर नजर आता है। कागज पर तो सरकारे अपने बजट का एक बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य पर खर्च करती है परन्तु आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी आदिवासी अचंल की स्वास्थ्य सुविधाओं में कोई खास सुधार नहीं हो पाया हैं। मामला पेटलावद तेह मुख्यालय से सबसे दूरी पर स्थित झकनावदा स्वास्थ्य केन्द्र का है। जहा 40 गांव के लोग स्वास्थ्य केन्द्र पर स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर आश्रित रहते है, परन्तु स्टॉफ व सुविधाओं के अभाव में मरीजों को अन्यत्र जाना पड़ता है।
एक डॉ. के भरोसे स्वास्थ्य केन्द्र –
कागजों पर तो झकनावदा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर एक डॉ. एक महिला डॉक्टर, स्टॉप नर्स ड्रेसर स्वीपर के पद स्वीकृत है परन्तु स्वास्थ्य केन्द्र पर 1 डॉक्टर, ड्रेसर स्वीपर के अलावा सभी पद खाली पड़ेे है।
फर्श पर मरीजों का चल रहा इलाज
मौसमी बीमारियों के चलते क्षेत्र के स्वास्थ्य केन्द्रों पर रोज लगभग 100 से 150 की मात्रा में मरीज आ रहे है, परन्तु पलंग के अभाव में मरीजों को जमीन पर लेटा कर इलाज किया जा रहा है। इस स्वास्थ्य केन्द्र की सबसे बडी विडंबना यह हे कि 40 गांव के लोगों के इलाज के लिए एक मात्र स्थान झकनावदा का प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है, परन्तु यहा मात्र तीन पलंग है, अब 150 मरीज और 3 पलंग कैसे होगा मरीजों का इलाज इस स्थति में या तो मरीज बाहर जाते हे या जमीन पर इलाज करवाने को मजबूर है।
एक्स-रे मशीन अन्यत्र पहुंचाई-
झकनावदा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर करीब 15 वर्ष पहले सांसद कान्तिलाल भूरिया नें एक्सरे मषीन का लोकापर्ण किया था परन्तु टेक्निशीयन नहीं होने के कारण मशीन कई वर्षो तक बंद पडी रही ओर बाद में इसे यहां से निकाल कर सारंगी पहुंचा दी गई मशीन को अन्यत्र पहुंचाने की बात पर ग्रामीण आक्रोशित हुए तो स्वास्थ्य विभाग ने भोपाल गैस त्रासदी से रिजेक्ट हुई मशीन जो करीब 300 एमएम की है। उसे यहा शिफ्ट कर दिया ओर टेक्निशियन भेज दिया अब रिजेक्ट मशीन आज तक नहीं चल पाई ओर धीरे-धीरे टेक्निशियन भी आना बन्द हो गया। अब बडा सवाल यह पैदा होता है। झकनावदा की स्वीकृत मशीन स्वास्थ्य विभाग ने लीपापोती करते हुए सांरगी क्यों पहुचाई जबकि सारंगी और पेटलावद की दुरी महज 12 किमी है, और झकनावदा से पेटलावद की दूरी 30 किमी है, आए दिन घटना दुर्घटना होने पर या एमएलसी होने पर क्षेत्र की गरीब जनता को पेटलावद का रुख करना पड़ता है।
पांच माह में प्रसव –
झकनावदा प्राथमिक स्वास्थ्य केेंद्र पर 5 माह से स्टॉफ नर्स ओर एनएम नहीं होने के कारण महिलाओं को प्रसव के लिए यहा से 30 किमी दूर पेटलावद जाना पड़ता है। अब बड़ा सवाल यह है कि मप्र के मुखिया मंचों से लाड़ली लक्ष्मी और जननी सुरक्षा योजना के बड़े-बड़े वादे करते है। अब मुख्यमंत्री की योजनाओं की पोल झाबुआ जिले का स्वास्थ्य विभाग खोल रहा है। यह माह जिस स्वास्थ्य केन्द्र पर 50 प्रसव होते थे वहां आज आंकडा शून्य हो गया।
पोस्टमार्टम रूम का भी अभाव-
झकनावदा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर पोस्टमार्टम रूम का भी अभाव हे रूम नहीं होने के कारण शव को पोस्टमार्टम के लिए पेटलावद पहुंचाया जाता है। शाम के समय अगर कोई मृत्यु हो जाती है तो शव व परिजनों को दो दिन तक पेटलावद रहना पड़ता है। यह इस क्षेत्र की सबसे बड़ी विडंबना है। अब इस ओर बड़ा सवाल यह है। इस बड़ी जनहित की समस्या पर न तो सताधारी दलों का ध्यान है ओर नहीं ही विपक्ष का अब जनता भी सोचने लगी है, के जनप्रतिनिधियों का ध्यान भी जन समास्या की ओर नहीं है।
जिम्मेदार बोल
झकनावदा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर स्टाफ नर्स की नियुक्ति के लिए मैं कलेक्टर से बात करूंगी व समस्या का समाधान करवाउंगी। अन्य सुविधा को लेकर में स्वास्थ्य मंत्री से चर्चा करूंगी।
         -निर्मला भूरिया विधायक पेटलावद
करेगें आन्दोलन-
कई बार स्वास्थ्य विभाग के मुख्य अधिकारी को अवगत करवाया लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ पूरे ब्लाक में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति शूनय् है, जल्य ही स्वास्थ्य सचिव ओर जिला कलेक्टर को समस्या से अवगत करवाऊंगा फिर भी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो भूख हड़ताल करूंगा।
   -राजेश कांसवा सांसद प्रतिनिधि            स्वास्थ्य विभाग पेटलावद
जल्द ही करेगें समास्या का समाधान –
झकनावदा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर एनएम की नियुक्ति कर दी जाएगी और पंलग ओर एक्सरे मशीन की व्यावस्था भी कर दी जाएगी ओर जल्द ही में झकनावदा स्वास्थ्य केन्द्र का दौरा करूंगा।
                -डा. अरूण शर्मा, सीएमएचओ
हमने स्टाफ की कमी ओर अन्य संसाधनों की कमी को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करवा दिया हें
-डा.एमएल चोपड़ा चिकित्सा अधिकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र झकनावदा
प्रशासन को ध्यान देना चाहिए-
स्वास्थ्य सुविधा मानव जीवन की सबसे पहली प्राथमिकता है, जनप्रतिनिधियों और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
                  -मोहनसिंह राव, समाजसेवी

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