सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लगी मरीजों की लाइन

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इस प्रकार हास्पिटल परिसर में ही गंदगी का आलम।
इस प्रकार हास्पिटल परिसर में ही गंदगी का आलम।
डाक्टर को चेकअप करवाने के लिए लगी भीड़
डाक्टर को चेकअप करवाने के लिए लगी भीड़
सामुदायिक स्वास्थ्य केेंद्र के मुख्य गेट पर इस प्रकार तालाब बना गडढा।
सामुदायिक स्वास्थ्य केेंद्र के मुख्य गेट पर इस प्रकार तालाब बना गडढा।

झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश शुक्ला की रिपोर्ट-
तहसील के एकमात्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इन दिनों मरीजों की भीड़ ऐसी लग रही है जैसे हाट बाजार लगा हो। हस्पिटल में कहीं पर भी पैर रखने की जगह तक नहीं है। तीस बिस्तरों वाले इस हास्पिटल में एक एक पलंग पर तीन तीन मरीजों का इलाज हो रहा है। फिर भी जगह कम पड रही है। वहीं बरामदें में भी लेटाकर मरीजों का उपचार किया जा रहा है। इसके साथ ही बॉटल लगाने के लिए लाइन लगाना पड़ रही है। जिस कारण कई लोगों को तो मना कर दिया जाता है।
डाक्टरों के कैबीन के आगे मरीजों की भीड़ लग रही है। डाक्टर के पास पहुंचने में मरीजों को घंटों ही लग रहे है। प्रतिदिन मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। मुख्य रूप से मौसमी बीमारी फीवर, टायफाइड और मलेरिया सहित उल्टी दस्त के मरीजों की भरमार है। हर दूसरे घर में कोई न कोई बीमार है। पेटलावद हास्पिटल में पहुंचने के बाद मरीज वहां की परिस्थितियां देखकर अपने आप को और अधिक बीमार महसूस करने लगता है।
हास्पिटल के बाहर कीचड़ का अम्बार
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के मुख्य गेट पर एक तालाबनुमा गडढा हमेशा भरा रहता है जो कि वहां आने वाले मरीजों के लिए और अधिक परेशानी बढ़ाता है। बारिश के पूरे मौसम में इस तालाबनुमा गडढे में पानी भरा रहता है, जो की मच्छर पैदा करता है। जिस और आज तक किसी ने ध्यान नहीं दिया है। इसके साथ ही हास्पिटल परिसर में भी कीचड ही कीचड़ जमा हुआ है, जिस कारण यहां आने वाले मरीजों को ओर अधिक परेशानी होती है।
मरीजों की स्थिति आंकडो की जुबानी
नगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आंकड़ों की जुबानी देखा जाए तो पिछले जुलाई माह में 4500 मरीज पेटलावद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचे थे। किन्तु अगस्त माह में मरीजों की संख्या डबल हो गई है। पिछले पंाच दिनों के आंकडे देखे जाए तो 250 से अधिक मरीज प्रतिदिन आ रहे है। 7 अगस्त को 268 मरीज, 8 अगस्त को 249, 10 अगस्त को 300, 11 अगस्त को 226 और 12 अगस्त को 296 मरीजों की इंट्री है। वहीं प्रतिदिन 100 मरीजों को भर्ती भी किया जा रहा है, जबकि हास्पिटल की क्षमता मात्र 30 बिस्तर की है।
हास्पिटल में गंदगी
वहीं दूसरी ओर हास्पिीटल बिल्डिंग के अंदर ही गंदगी का आलम है। मरीजों को बॉटल लगाने के बाद बाटले परिसर के अंदर ही फेंक दी जा रही है जो की बीमारी फैलाने के लिए जवाबदार है। हास्पिटल में पूरी तरह से गंदगी फैली हुई है।
क्लिनिकों पर मरीजों की भीड़
यह हुई शासकीय अस्पतालों की बात इसके साथ्ज्ञ ही निजी चिकित्सालयों में भी भारी भीड़ देखी जा रही है। नगर सहित आसपास के क्षेत्रों में भी मरीजों की काफी भीड़ लग रही है। पूरे क्षेत्र में हर घर में कोई न कोई बीमारी का शिकार हो रहा है।

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