मरीज के रूप में बंधक पिता को छुड़ाने के लिए कलेक्टोरेट में भटकता रहा विकलांग

0

झाबुआ लाइव डेस्क
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान जहां एक तरफ प्रदेश में ‘‘हैप्पीनेंस’’ आनंद मंत्रालय बनाने जा रहे है। इसी मध्यप्रदेश में आम ग्रामीण कितने परेशान है? इसकी बानगी आज जिला मुख्यालय झाबुआ में उस समय देखने को मिली जब एक विकलांग बेरोजगार युवक जो कि गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करता है वह झाबुआ कलेक्टोरेट परिसर पहुंचा और कलेक्टर से मिलकर आवेदन देने की कोशिश की जिसमें उसने यह निवेदन किया था कि उसके पिता नंनूसिंह निवासी मांडलीनाथू तहसील राणापुर जिला झाबुआ को बीते पांच दिनों से पड़ौसी गुजरात राज्य के दाहोद जिला मुख्यालय के निजी नायक अस्पताल ने ‘‘बंधक मरीज के रूप में’’ रखा हुआ है ओर उसे तभी छोडऩे की बात कर रहे है जब वह इलाज का 20 हजार रूपए के बिल का भुगतान कर दे। युवक ने आवेदन में फरियाद लगाई है कि वह आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है उसके पास मात्र एक खेत है जो 2015 में गिरवी रखकर अपने पिता नंनूसिंह की पेट में अस्पताल द्वारा बताई गई कथित गठान निकलवाने का ईलाज करवा चुका है। उसकी मां और पत्नी भी बीमारी के चलते चल बसी है और वह खुद भी बेरोजगार है। ऐसे में वह कलेक्टर से फरियाद करने आया था कि प्रशासन उसके बंधक मरीज के रूप में दाहोद के नायक अस्पताल में रखे गए पिता को छूड़वाने में सहायता करें। दरअसल नायक अस्पताल की ओर से कहा गया है कि उसके पिता की दोनो किडनियां खराब हो चुकी है इसलिए ईलाज संभव नहीं है और वह सेवा करें। उक्त युवक चंदू की फरियाद सुनने के लिए कलेक्टर आज जिला मुख्यालय पर मौजूद नहीं थी और जब तक कलेक्टर आई तब तक परेशान चंदू फिर से अपने गांव लौट गया। लेकिन जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अनुराग चौधरी ने मामले में संज्ञान लिया है और झाबुआ के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देशित किया है कि वह अपने दाहोद के समकक्ष से बात कर उक्त युवक की मदद का रास्ता निकाले। समाचार लिखे जाने तक अभी तक चंदू के पिता नंनूसिंह नायक अस्पताल में ही मौजूद है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.