चातुर्मास में भक्ति में लीन रहे धर्मावलंबी

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झाबुआ लाइव के लिए राणापुर से एमके गोयल की रिपोर्ट-
रविवार को राजेन्द्र भवन में पंच तीर्थ वन्दना का अनूठा आयोजन हुआ। श्वेतांबर जैन समाज में पहली बार हुए इस अनुष्ठान में बड़ी संख्या में समाजजनों ने सहभागिता की। राजेन्द्र भवन का पूरा हाल खचाखच भरा हुआ था। आयोजन चातुर्मास के लिए विराजित आचार्य जयंत सेन सूरीश्वर मसा की आज्ञानुवर्तिनी साध्वी चारित्रकला मसा की निश्रा में हुआ। आयोजन सुबह 9 बजे से शुरू होकर 4 घंटे तक चला। पूरे समय उपस्थित लोग परमात्मा की भक्ति में लीन रहे।
पंच तीर्थो की संगीतमयी वन्दना
तीर्थ वंदना कार्यक्रम में शत्रुंजय सम्मेद शिखरजी, गिरनार जी अष्टापद एवं आबूजी तीर्थो की वंदना की गई। इसके लिए हाल में वेयावच समिति व तरुण परिषद ने पहाड़ की रचना की थी। पांचों तीर्थ के पट बनाकर लगाये गए। पांचों जगह जिन प्रतिमा तिगड़े में विराजमान की गई। शत्रुंजय व अष्टापद तीर्थ वन्दना के लाभार्थी नीलेश सोहनलाल कटारिया थे। गिरनार व सम्मेत शिखर वन्दना का लाभ हंसा रमेशचंद्र नाहर ने लिया। आबूजी की वन्दना का लाभ अनिल कुमार चांदमल सेठ ने लिया सभी लाभार्थी परिवार ने जिन प्रतिमाओं का अष्ट द्रव्य जल, चन्दन, पुष्प, धूप, दीपक, अक्षत, नैवेद्य व फल से पूजन किया।साध्वी श्री ने हर पूजा का महत्व बताया। डिंपल बेन, कमलेश कटारिया ने अपनी मधुर आवाज से स्तवन प्रस्तुत किए। जितेंद्र सालेचा ने कैसियो व जितेश राठौड़ ने ढ़ोलक पर माहौल को भक्तिमय बना दिया। जैन भजनों की धुन पर भक्त जमकर थिरके, खूब गरबे खेले।
परमात्मा से प्रीति कर एसमर्पित हो जाये
अनुष्ठान के पूर्व साध्वी चारित्रकला श्रीजी ने तीर्थ वंदना का तरीका व महत्व प्रतिपादित किया। उन्होंने पांचों तीर्थ की महिमा का अलग अलग वर्णन किया। उन्होंने कहा कि परमात्मा से प्रीति कर परमात्मा के प्रति समर्पित हो जाना ही सच्ची भक्ति है। परमात्मा की भक्ति करने वाला व्यक्ति कभी दुर्गति में नही जाता उसकी सद्गति ही होती है।

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