झाबुआ डेस्क। झाबुआ स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में दिनांक 23 नवम्बर 2025 को सप्त शक्ति संगम का भव्य एवं भावनापूर्ण आयोजन श्रद्धा, गरिमा और अनुशासन के साथ सम्पन्न हुआ।
यह आयोजन मातृशक्ति की सप्त शक्तियों — श्री,वाक्, स्मृति, मेधा, धृति,क्षमा, और कीर्ति को जागृत करने एवं उसे विस्तार पूर्वक समझने के लिए किया गया है। पूरे परिसर में नारी शक्ति की उज्ज्वल चेतना और संगठन की दृढ़ भावना दृष्टिगोचर हुई। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिससे सम्पूर्ण वातावरण भक्ति, पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा से भर उठा।

कार्यक्रम की संचालिका रितु कुडासिया ने प्रस्तावना प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने सप्त शक्ति संगम कार्यक्रम के उद्देश्य, भावना और महत्व को स्पष्ट किया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि भारती सोनी ने “कुटुंब प्रबंधन एवं पर्यावरण के संबंध में भारतीय दृष्टि” विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा—“सशक्त परिवार ही सशक्त समाज की नींव है। संवाद, स्नेह और संस्कार परिवार की तीन प्रमुख आधार-शिलाएँ हैं।”

कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि डॉ. साधना भंवर ने भारत के विकास में महिलाओं की भूमिका” विषय पर कहा की नारी समाज की संवेदनशील धारा है, जो संस्कृति, सभ्यता और मानवता की मूल चेतना को आगे बढ़ाती है। नारी का अर्थ बताते हुए डॉ साधना भंवर ने कहा कि नारी अर्थात ना+अरी अर्थात जिसका कोई शत्रु न हो । मातृशक्ति में छुपी सप्त शक्तियों का विस्तृत एवं सरल वर्णन करते हुए सभी मातृ शक्तियों से आग्रह किया कि वह अपनी शक्तियों को पहचाने एवं उसका उपयोग श्रेष्ठ समाज एवं परिवार के सृजन के लिए करें। अपने बुजुर्गों का सम्मान करें। कार्यक्रम की अध्यक्षा नीता घुमरे ने अपने उद्बोधन में कहा की सरस्वती शिशु मंदिरों में होने वाली वंदना, सरस्वती शिशु मन्दिरों की पहचान है। यहां वंदना भी संस्कार देने का कार्य करती है।
