वन विभाग के आदेश के खिलाफ आदिवासी विकास परिषद ने दी आंदोलन की चेतावनी

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आलीराजपुर । आदिवासी विकास परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष महेश पटेल ने वन विभाग आलीराजपुर द्वारा जारी आदेश क्रमांक 5136 / दिनांक 24 अक्टूबर 2025 को लेकर राज्य सरकार पर तीखा प्रहार किया है।

उन्होंने कहा कि यह आदेश आलीराजपुर जिले के अनेक ग्रामीण व वन क्षेत्रों — जैसे ककरना, आकड़िया, माथवाड़ और नर्मदा पट्टी के गाँवों — में बसे आदिवासी परिवारों को उजाड़ने और विस्थापित करने की गंभीर साजिश है। वन विभाग के इस आदेश में जंगलों के आसपास बसे ग्रामीणों को “अनधिकृत कब्जाधारी” मानकर हटाने तथा भूमि को “राजस्व/वन सीमा के अंतर्गत व्यवस्थित करने” की बात कही गई है। परिषद का कहना है कि यह आदेश वन अधिकार अधिनियम 2006, संविधान की पाँचवीं अनुसूची, और पेसा कानून 1996 की भावना के पूर्णतः विरुद्ध है।

महेश पटेल का कहना है “यह आदेश आदिवासियों के आशियाने उजाड़ने और उन्हें बेघर करने की साजिश है। हम जल, जंगल और जमीन पर अपने पूर्वजों के अधिकार को किसी भी कीमत पर छिनने नहीं देंगे। नर्मदा माँ हमारी माँ है — उसकी गोद में ही जीएंगे और उसकी गोद में ही मरेंगे।” उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार नर्मदा पट्टी के आदिवासियों को हटाने का षड्यंत्र रच रही है, परंतु हम इस नीति को सफल नहीं होने देंगे।

आदिवासी विकास परिषद की प्रमुख माँगें

  1. वन विभाग का आदेश क्रमांक 5136 (24/10/2025) तत्काल निरस्त किया जाए।

  2. जंगलों और प्राकृतिक संसाधनों से संबंधित किसी भी नीति या आदेश से पहले ग्राम सभाओं की सहमति अनिवार्य की जाए।

  3. वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत आदिवासी समुदायों के पारंपरिक अधिकारों की कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

  4. आदिवासी क्षेत्रों की योजनाओं में स्थानीय प्रतिनिधियों की भागीदारी अनिवार्य की जाए।

आंदोलन की चेतावनी दी

पटेल ने कहा कि यदि सरकार ने आदेश वापस नहीं लिया तो आदिवासी विकास परिषद के नेतृत्व में आंदोलन, आयोजित की जाएगी।सरकार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया जाएगा जिसकी जवाबदारी सरकार शासन की होगी। उन्होंने कहा “यह लड़ाई किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि उस नीति के खिलाफ है जो हमारे जंगलों और जमीन को छीनने की कोशिश कर रही है।” “जल, जंगल, जमीन हमारी सरकार की नहीं, जनता की संपत्ति है!”

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