पिटोल स्वास्थ्य केंद्र में नवजात की मौत पर हंगामा; आदिवासी संगठनों ने लगाया लापरवाही और अवैध वसूली का आरोप

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भूपेंद्र नायक, पिटोल

स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) पिटोल में नवजात शिशु की मृत्यु होने के बाद अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही और अवैध वसूली के गंभीर आरोप लगाते हुए हड़कंप मच गया। मृतक शिशु के परिजनों के साथ भील प्रदेश और भील महासंघ जैसे आदिवासी संगठनों के नेताओं ने मौके पर पहुँचकर जोरदार विरोध दर्ज कराया।

पिपली पाड़ा निवासी मनीषा पति युवराज निनामा को प्रसव के लिए कल शाम को पीएचसी पिटोल में भर्ती किया गया था। प्रसूता की डिलीवरी रात लगभग 2 बजे हुई और नवजात शिशु पूर्णतः स्वस्थ था। परिजनों के अनुसार, माता मनीषा ने सुबह 4 बजे तक शिशु को दूध पिलाया और वह स्वस्थ था, लेकिन अचानक सुबह करीब 5:30 बजे नवजात शिशु की मौत हो गई। नर्स द्वारा सुबह 6 बजे यह जानकारी परिजनों को दी गई। परिजनों ने मृत शिशु का क्रियाकर्म कर दिया।

दोपहर 3 बजे के आसपास नवजात के पिता युवराज निनामा के साथ भील प्रदेश जिला संयोजक संजू डामोर और भील महासंघ के मीडिया प्रभारी मनीष वसुनिया पीएचसी पहुंचे। उन्होंने ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर से नवजात की मौत के कारणों पर सवाल उठाए और आम जनजाति आदिवासी समुदाय के मरीजों के इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए सख्त चेतावनी दी।

भील महासंघ के मीडिया प्रभारी मनीष वसुनिया ने स्पष्ट कहा कि नवजात शिशु की मौत अस्पताल की लापरवाही की वजह से हुई है और प्रशासन को जिम्मेदार कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। वहीं, भील प्रदेश जिला संयोजक संजू डामोर ने नर्सों पर प्रत्येक प्रसूति के बदले में ₹1000 से ₹1500 या उससे अधिक की अवैध वसूली करने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि पैसे नहीं देने पर नर्सें प्रसूता के परिजनों से कहती हैं कि प्रसूति यहां नहीं हो पाएगी और उन्हें बाहर किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में ले जाने को कहा जाता है। संजू डामोर ने इसे आम आदिवासी जनता के साथ स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारियों द्वारा की जा रही लूट बताया और इस पर कड़ी जांच एवं कार्रवाई की मांग की।

मृतक की माता मनीषा ने भी यह पुष्टि की कि प्रसूति के बाद उनका शिशु पूरी तरह स्वस्थ था। उन्होंने कहा, “डॉक्टर और नर्स दोनों ने बच्चे को देखा था और वह 5 बजे तक स्वस्थ था, फिर क्या हुआ, हमें पता नहीं।”

इस संबंध में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पिटोल के मेडिकल ऑफिसर डॉ. राय सिंह बाथम ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि नवजात स्वस्थ पैदा हुआ था और उन्होंने रात 4 बजे चेकअप किया तब भी वह स्वस्थ था। डॉ. बाथम ने आशंका जताई कि माता द्वारा दूध पिलाने के बाद शिशु को कंधे पर लेकर ठीक से डकार नहीं दिलवाने के कारण संभवतः उसकी मृत्यु हो गई होगी। आदिवासी संगठनों ने उचित इलाज और व्यवस्था सुधारने की मांग करते हुए चेतावनी दी है कि यदि लापरवाही जारी रहती है तो वे आंदोलन करेंगे।

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