दो अलग-अलग बाइक दुर्घटनाओं में 9 घायल, समय पर नहीं पहुंची एम्बुलेंस, ग्रामीण निजी वाहनों से अस्पताल ले गए

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शैलेष कनेश, मथवाड़

दशहरे पर को मथवाड़ से लौटते समय दो अलग-अलग भीषण सड़क दुर्घटनाओं में बच्चों और महिलाओं सहित लगभग 8 से 9 लोग घायल हो गए, जिनमें दो घायलों के पैर टूटने के कारण उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है।

पहला हादसा उस समय हुआ जब बाइक पर सवार एक पुरुष, महिला और बच्चा ने सड़क किनारे चल रही दो महिलाओं को टक्कर मार दी। इस टक्कर में बाइक सवार तीनों लोग और सड़क पर चल रही दोनों महिलाएं घायल हो गईं। लगभग उसी स्थान पर, दूसरा बड़ा हादसा हुआ जिसमें दो बाइक आपस में बुरी तरह से टकरा गईं। दोनों बाइकों पर दो-दो लोग सवार थे। टक्कर इतनी ज़बरदस्त थी कि दोनों बाइक से एक-एक सवार का पैर टूट गया और वे गंभीर अवस्था में पहुँच गए। शेष साथी भी इस दुर्घटना में घायल हुए। विडंबना यह रही कि जिले के इस सुदूर ग्रामीण अंचल में दुर्घटना के 2-3 घंटे बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुँच सकी। ग्रामीणों ने बताया कि नजदीकी बखतगढ़ अस्पताल में भी कोई उचित सुविधा उपलब्ध नहीं है।

हालांकि, मथवाड़ के ग्रामीणों की सजगता और त्वरित मदद के चलते मानवता की मिसाल देखने को मिली। पीड़ितों से अनजान होते हुए भी, स्थानीय ग्रामीणों ने तत्काल पिकअप व निजी गाड़ियों का इंतज़ाम किया और सभी 8-9 घायलों को किसी तरह बखतगढ़ अस्पताल तक पहुँचाया।

बखतगढ़ अस्पताल में नहीं था स्ट्रेयर

अस्पताल पहुँचने पर, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी खुलकर सामने आ गई। घायलों को गाड़ी से अस्पताल के बिस्तर तक पहुँचाने के लिए न तो स्ट्रेचर या व्हील चेयर उपलब्ध नहीं थी, और न ही अस्पताल का कोई कर्मचारी मदद के लिए आगे आया। मजबूरन, ग्रामीणों को ही घायलों को उठाकर बड़ी मुश्किल से अंदर बिस्तर तक पहुँचाना पड़ा। छकतला और बखतगढ़ जैसे सरकारी दवाखानों में डॉक्टर समय पर नहीं मिल पाते और जरूरी सुविधाओं का भारी अभाव है, जिससे समय पर इलाज संभव नहीं हो पाता। नतीजतन, ग्रामीण या तो बंगाली झोलाछाप के शिकार होते हैं।

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