जनजाति विकास मंच द्वारा अधिकारी कर्मचारी संवाद आयोजित किया

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जितेंद्र वर्मा, जोबट

आलीराजपुर। डाईट भवन सभाकक्ष में जनजाति विकास मंच के द्वारा अधिकारी कर्मचारी संवाद कार्यक्रम संपन्न किया, जिसमें जनजाति समाज की सामाजिक गतिविधि और सामाजिक कुरीतियों, अस्मिता और अस्तित्व को बचाने को लेकर संवाद किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में जिले भर के अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे।

जनजाति विकास मंच आलीराजपुर के बैनर तले शिक्षक दिवस के अवसर पर अधिकारी-कर्मचारी संवाद कार्यक्रम संपन्न किया। इस मौके पर संवाद कार्यक्रम के मुख्यवक्ता डाँ.सखाराम मुजाल्देविभाग अध्यक्ष जनजाति अध्ययन एवं विकास केंद्र डीएवीवी इंदौर थे, उन्होंने कहा कि समाज में हमारी जो अस्मिता और अस्तित्व है उसे बचाना सबका कर्तव्य है। शिक्षक की जिंदगी स्कूल से है शिक्षित और अशिक्षित दोनों में बहुत बड़ा अंतर है, हम शिक्षित है पर हमारी भाषा और संस्कृति अलग-अलग है। हमारी जिम्मेदारी गढने और बनाने की है, हम दूसरों को दोष नहीं दे सकते चूकिं हम व्यक्तिगत बचाव की ओर जा रहे जबकि हमें समाज बदलाव की ओर जाना चाहिए, क्योंकि शिक्षा जगत से समाज का उद्धार हो सकता है। हम जिस समाज में रहते है, उस समाज की संस्कृति, रीति-रिवाज, परंपरा और रूडी प्रथाओं को जीवित रखना आने वाली पीढ़ी के लिए महत्वपूर्ण बताया। अपने स्वतंत्रता संग्राम मे जनजाति नायकों के योगदान मे बताया कि पुरुषों के साथ महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका बताते हुए कहा कि भारत सरकार ने 2024 में जनजाति अध्ययन केंद्र देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में स्थापित किया है, जहां पर जनजाति समाज के बच्चें अब पीएचडी कर सकेंगे, उसके बारे में उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि इसके लिए पुस्तकें तैयार की जा रही और निचले स्तर पर भी भारत सरकार के सहयोग से बहुत जल्दी जनजाति अध्ययन केंद्र की स्थापना होने की बात भी की।

इस मौके पर प्रोफेसर राकेश अवास्या ने कहा हम हमारा स्वयं का विकास करते हैं न कि समाज का। जबकि हमें समाज का विकास केसे होगा उसके बारे में सोचने की आवश्यकता बताई। कार्यक्रम के दौरान जनजाति विकास मंच के प्रमुख गोविंद भयडिया ने जनजाति विकास मंच की भूमिका एवं कार्यक्रम की प्रस्तावना रखी, जिलाध्यक्ष राजेश डुडवे ने भी अपने विचार रखें।

इस मौके पर युवा प्रमुख कादु सिंह सिंह डुडवे, जिला युवा प्रमुख इंज.निरंजन सिंह पटेल, कैलाश जमरा, मनीष कनेश, वीरेंद्र खरत, मनोज जोकटिया, पिकेश चौहान, हरसिंह कलेश, सरदार डावर आदि का विशेष योगदान रहा। अंत में दोनों अतिथियों का सम्मान शहीद चंद्रशेखर आजाद का प्रतीक चिन्ह भेटकर किया। कार्यक्रम का संचालन सेकु सिंह गाडरिया ने किया।

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