कुंवारी कन्याओं ने सुयोग्य वर तथा सुहागिनों ने पति की लंबी उम्र की कामना हेतु हड़तालिका व्रत किया

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

भादौ मास के शुक्ल पक्ष की तीज को महिलाओं द्वारा किए जाने वाले निर्जला उपवास जिसे हड़तालिका व्रत  कहते हैं आज क्षेत्र में पारंपरिक रूप से मनाया गया, जिसमें शिव तथा शक्ति की विशेष पूजा अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त किया गया।

जैसा कि वेद पुराणों में वर्णित है कि भादौ मास के शुक्ल पक्ष की तीज तिथि को महिलाओं द्वारा हड़़तालिका तीज व्रत किया जाता है जिसमें दिन भर निर्जला रह कर शिवशक्ति की आराधना की जाती है तथा मिट्टी से बनी प्रतिमाओं का पूजन प्राकृतिक रूप से पेड़ों की पत्तियों, फूलों,फलों विभिन्न प्रकार के मिष्ठान्नों, तथा सुहाग सामग्रियों से पूजा अर्चना की गई तथा व्रत के महत्व की कथा सुनी गई,यह व्रत कुंवारी कन्याओं द्वारा भविष्य में सुयोग्य वर हेतु तथा सुहागिनों द्वारा अपने पति की लंबी उम्र की कामना से किया गया, रात्रि में जागरण किया गया जिसमें महिलाओं द्वारा भजन कीर्तन किए गए , तथा सुबह प्रभात काल में मिट्टी से बनी प्रतिमाओं को विसर्जित किया गया।आज दिनभर मंदिरों में महिलाओं की भीड़ उमड़ती रही।

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