सब्जियों के मिल रहे औने पोने दाम, ग्रामीण सब्जियां फेंकने को मजबूर

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

इन दिनों वर्षा का मौसम होने के ग्रामीण कृषक खेतों में अन्य फसलों के साथ ही मौसमी सब्जियां भी उगाते हैं तथा दैनिक खर्च तथा रोजमर्रा की जरूरत के लिए उन्हें बाजार में बेचने लाते हैं, क्षेत्र में अधिक उपज होने के कारण बाजार में लागत के हिसाब से इनका मूल्य नहीं मिल पा रहा है। क्षेत्र में इन दिनों गिलकी तोरयी, बैंगन हरी मिर्च लौकी तथा करेलों की भर मार है औने-पौने दामों में बेचने के बाबजूद जब नहीं बिकती हैं तो इतना वजन सिर पर उठा कर कौन‌ ले जाएॽ यह  सोच कर ग्रामीण कृषक सब्जियों को जहां तहां फैंक ने को मजबूर हो जाते हैं , स्थिति यह है कि इन्हें जानवर भी नहीं खा रहे हैं, जिस कारण सब्जी बाजार क्षेत्र में गंदगी पसरी पड़ी रहती है, जिन्हें बाद में सफाईकर्मी उठा कर फैंकते हैं।

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