विकलांग होने के बाद भी हौसले से मंगूबाई ने दिव्यांगता को दी मात

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झाबुआ लाइव के लिए झकनावदा से जितेंद्र राठौर की रिपोर्ट-
अगर जिंदगी में कुछ करने का जज्बा हो तो जीवन मे कुछ भी असंभव नहीं है। ऐसा ही जज्बा झकनावदा की पूर्ण विकलांग 45 वर्षीय महिला मंगीबाई पति रणछोड़लाल प्रजापत में देखा। दोनों पांव से पूर्णत: नि:शक्त होकर मंगीबाई एक जगह दूसरी जगह जाने के लिए अपने शरीर को पूरी तरह से घसीट कर चलती है। मंगीबाई अपने हाथों के हूनर की बदौलत पूरे परिवार का भरण पोषण कर रही है। मंगीबाई की पारिवारिक स्थिति काफी दयनीय है। गरीबी रेखा से जीवन यापन करने वाले इस परिवार को दो वक्त का खाना भी ठीक से नसीब नहीं होता है। तमाम परेशानियों के बावजूद मंगीबाई अपने दम पर परिवार का भरण पोषण कर रही है। अलसुबह 4 बजे से दिनचर्या शुरू करने वाली मंगीबाई देर रात तक काम करती रहती है।
इस दिव्यांग की दिनचर्या से हर कोई दंग रह जाता है। झकनावदा की 45 वर्षीय इस मंगीबाई की मेहनत और कुछ करने के जज्बे को देखे तो इस महिला के आगे पूर्ण सशक्त लोग भी बौने साबित होते हैं। पूर्णत: दिव्यांग मंगीबाई प्रात: 4 बजे उठकर खाना पकाती है और खाना बनाने के पश्चात 5 बजे अपने ईंट भट्टे पर जाकर ईंटे बनाने का काम करती है। और दोपहर 3 बजे तक ईंटें बनाती है। और उसके बाद घर पर जाकर्र इंटें बनाती है। और रात को करीब 8 बजेेेे तक मिट्टी के चूल्हे बनाने का काम करती है। उसके बाद खाना बनाती है। पूर्णत विकलांग मंगीबाई करीब 16 घंटे लगातार काम करती है और अपने परिवार का भरण पोषण चला रही है। इस महिला के साहस को देखकर लगता है कि जो काम मंगीबाई करती है उससे कोई नहीं कह सकता कि वह निशक्त और विकलांग है। क्योंकि जो मेहनत इतनी गर्मी में मंगीबाई कर रही है और मेहनत का जो जज्बा दिखा रही है यह काम कोई सशक्त महिला या पुरूष भी नहीं कर पाते हैं। वह मेहनत का जज्बा मंगीबाई में देखने को मिलता है। और इनके परिवार में इनके पति हैं उनकी भी उंगलियां नहीं है। उन्हें भी काम करने में दिक्कत आती है।
नहीं मिल रहा शासन की कोई योजना का लाभ –
जन्म से दिव्यांग मंगीबाई बचपन से ही अपने जीवन वसे संघर्ष कर रही है। परंतु मंगीबाई को न तो मायके में और न ही ससुराल में कोई सुख मिला हैै। मंगीबाई पूर्णत: विकलांग होने के बाद भी अपनी मेहनत से जज्बा दिखाकर वो कर दिखाया जो कोई नहीं साधारण व्यक्ति भी नहीं कर पाता है। शासन प्रशासन के चक्कर लगाने के बजाय अपनी मेहनत से हासिल किया। अब बडा सवाल यह है कि शासन प्रशासन को चाहिये कि मेहनती और लगनशील महिला को शासन से जुड़ी योजनाओ का लाभ पहुंचाए, परंतु शासन ने आज तक ऐसी मेहनती और जज्बाती महिला को शासन प्रशासन से कोई लाभ नहीं दिया गया जबकि शासन प्रशासन चाहे तो इस महिला के जज्बे को देखते हुए इसे कर्मकार मण्डल या उद्योग विभाग से राशि दिलाई जा सकती है। महिला की गरीबी को देखते हुए इंदिरा आवास का लाभ भी महिला दिया जा सकता है। परन्तु इस मेहनती महिला पर आज तक शासन प्रशासन के नुमाइंदे की नजर नहीं पड़ी।
जिला पंचायत सीईओ से बंधी आस –
झकनावदा की पूर्णत: दिव्यांग मांगीबाई के पति रणछोड़ प्रजापत का कहना है कि हमने सूना है झाबुआ में साहब है जो गरीब और नि:शक्त लोगों की मदद करते हैं। तो उन्हें केवल जिले के प्रभारी कलेक्टर से आशा है।
 प्रभारी कलेक्टर ने की मंगीबाइ की सराहना –
जिले के प्रभारी कलेक्टर अनुराग चौधरी को हमारे प्रतिनिधि ने दूरभाष के माध्यम से इस जांबाज सशक्त महिला की स्थिति से अवगत कराया तो जिले के प्रभारी कलेक्टर ने कहा कि एसी महिला जो पूर्णत: दिव्यांग होने के बाद भी अपने हूनर के बल पर जो काम कर रही है। वह हम सभी के लिये एक रोल मॉडल है। में इस महिला से जल्द ही झकनावदा आकर मिलूंगा और कोशिश करूंगा कि इन्हें शासन की हर योजना का लाभ मिले जिनसे ये वंचित है। जिस प्रकार दिव्यांग होने के बाद भी ये महिला काम कर रही है एसी महिलाओं को 15 अगस्त व 26 जनवरी को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
क्या कहते हैं जिम्मेदार –
हम जल्द ही उक्त महिला को शासन की योजनाओं का लाभ दिलवाने का प्रयास करेंगे। उक्त महिला को कर्मकार मंडल के माध्यम से और महिला बीपीएल धारी है तो इंदिरा आवास का लाभ दिलाने का प्रयास करेंगे।
                                    – सीएस सोलंकी, एसडीएम
क्या कहते है जनप्रतिनिधि-
मंगीबाई के जज्बे की जितनी तारीफ की जाये कम है मप्र सरकार एसी महिलाओं के लिये कई योजनाएं चला रही है उनका लाभ एसी महिलाओं को मिलना चाहिए।                       -मुकेश कोठारी, भाजपा नेता

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