आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की जायज मांगों पर विचार हो, ज्ञापन सौंपा 

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आलीराजपुर। महिला एवं बाल विकास विभाग में सन् 1975 से अपनी निरंतर सेवाएं दे रही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका बहनों ने अपनी जायज मांगों को लेकर आवाज़ बुलंद की है। उन्होंने एक ज्ञापन के माध्यम से अपनी समस्याओं और मांगों को सरकार के सामने रखा है, जिसमें उन्हें नियमित करने, न्यूनतम पेंशन सुविधा देने और कार्य का बोझ कम करने जैसी महत्वपूर्ण बातें शामिल हैं।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं कुपोषण दूर करने, शिशु एवं मातृ मृत्यु दर कम करने, महिलाओं को स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने और बच्चों को अनौपचारिक शिक्षा देने जैसे महत्वपूर्ण कार्य कर रही हैं। इसके बावजूद, उन पर महिला बाल विकास विभाग और अन्य विभागों के भी कई कार्य सौंपे जाते हैं, जिससे कार्य का बोझ लगातार बढ़ रहा है। नए-नए ऐप्स और ऑनलाइन कार्यों के चलते तकनीकी समस्याओं और सही उपयोग के अभाव में काम की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।

प्रमुख मांगें

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने सरकार से निम्नलिखित बिंदुओं पर विचार कर उनका निराकरण करने का आग्रह किया है:

देशभर में महिला बाल विकास विभाग में कार्यरत सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को एक नीति बनाकर सभी राज्यों में नियमित किया जाए और उनका वर्ग निर्धारित हो। सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका बहनों को न्यूनतम पेंशन की सुविधा मिले, ताकि वे सेवानिवृत्त होने के बाद आत्मनिर्भर जीवन जी सकें। कम से कम 10 वर्ष का अनुभव रखने वाली और पर्यवेक्षक हेतु सभी अहर्ताएं पूरी करने वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को आयु सीमा का बंधन हटाते हुए पर्यवेक्षक पद पर पदोन्नति दी जाए। यह प्रक्रिया हर साल हो और परीक्षा के बजाय अन्य विभागों की तरह विभागीय पदोन्नति ही की जाए। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को विभाग के कार्यों के अतिरिक्त किसी भी अन्य कार्य में न लगाया जाए। खासकर बी.एल.ओ. (बूथ लेवल ऑफिसर) का कार्य न दिया जाए, क्योंकि अन्य कार्यों में संलग्नता से विभागीय सेवाएं प्रभावित होती हैं। सभी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को किसी अन्य विभागों की नियुक्ति परीक्षा में भी अतिरिक्त अंक दिए जाने का प्रावधान हो, खासकर शिक्षा विभाग में।

मध्यप्रदेश में पिछले 18 वर्षों से एक ही प्रकार का टी.एच.आर. (Take Home Ration) दिया जा रहा है, जो बच्चों और महिलाओं को अब रुचिकर नहीं लगता। इसमें बदलाव कर कुछ रुचिकर और पौष्टिक आहार दिया जाए। पोषण ट्रेकर ऐप में फेस कैप्चर के माध्यम से टी.एच.आर. वितरण में माता-पिता और बच्चे परेशान हो रहे हैं। नेटवर्क की समस्या के कारण यह कार्य शत-प्रतिशत होने में भी कठिनाई आ रही है, इसमें सुधार कराया जाए। महिला बाल विकास विभाग द्वारा दिए गए मोबाइल में अच्छी मेमोरी नहीं है और न ही समय पर बैलेंस के लिए राशि दी जाती है, जिससे कार्यकर्ताओं को अपने पैसे से रिचार्ज करवाना पड़ता है। इसकी विभागीय व्यवस्था की जाए। पूर्व में मिले विभागीय मोबाइल खराब हो चुके हैं, अतः मोबाइल खरीदने हेतु कार्यकर्ता और सहायिका के खाते में राशि उपलब्ध कराई जाए। महिला बाल विकास विभाग द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका को सेवानिवृत्त होने पर दी जाने वाली राशि, कार्यकर्ता और सहायिका की सेवाकाल में मृत्यु होने पर उनके परिवार को दी जाए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता और उपस्थिति

आज के कार्यक्रम की अध्यक्षता मंजुला लोहार प्रदेश ने की। मंच संचालन और संबोधन भारतीय मजदूर संघ के जिला मंत्री धनसिंह कनेश ने किया। ज्ञापन वाचन रेखा रावत ने किया। इस अवसर पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता संघ की जिला उपाध्यक्ष कमला रावत, कोषाध्यक्ष रंजीता कनेश, जोबट अध्यक्ष संगीता डुडवे, निर्मला, सुनीता, भाबरा अध्यक्ष सरोज चौहान, कट्टीवाडा अध्यक्ष प्रीति, उदयगढ़ से कांता मुवेल, कलम बाई मेडा, सोंडवा से ऊषा बामनिया, लीला निंगवाल, कुसुम सस्तीया, और अलीराजपुर से लक्ष्मी विश्वकर्मा सहित छह परियोजना की कार्यकर्ता और सहायिकाएं उपस्थित रहीं। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने विनम्रतापूर्वक इन चयनित बिंदुओं पर विचार कर उनकी मांगों को पूर्ण करने की अपील की है।

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