सोच को बदलने से समाज संगठित होगा – हितेशचन्द्रजी

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सभा को संबोधित करते मुनीवर
सभा को संबोधित करते मुनीवर

झाबुआ लाइव के लिए बामनिया से लोकेेंद्र चाणोदिया की रिपोर्ट-
आज श्रावक समाज को एकता के सुत्र में जोडने से पहले साधु समाज को एक मंच पर आना होगा क्यों कि श्रावक समाज में इतनी दूरियां नहीं हैं जितनी साधु समाज में। श्रावक समाज तो अपने रिश्तों में सम्प्रदाय वाद की बु नही आने देता बल्कि श्रावकों को तोडने में साधुओं का ही हाथ है। यदि संत समुदाय एक आसन पर बैठ कर ठोस कदम श्रावकों के सामने रखे तो श्रावक तो अपने आप मान लेगा। श्रावक अगर दूर हैं तो इसमें कही न कही बड़े संतों का अपना-अपना अहम आड़े नजर आता है। आज की नई जनरेशन को यह कतई मान्य नही होगा। वह चाहता है कि समाज एक हो कर जैन धर्म कि प्रभावना करे। संत समाज को सोच बदलने से ही समाज संगठित हो पायेगा उक्त उदगार तेरापंथ सभा भवन में मूर्र्ति पूजक संघ के आचार्य जयप्रभविजय के सुशिष्य हितेशचंद्र विजय ने दिए। इस अवसर पर तेरापंथ समाज के मुनि पृथ्वीराज ने कहा कि सकारात्मक सोच से ही जैन एकता संभव हैं। भगवान महावीर ने अनेकता, अहिंसा और अपरिग्रह के सिद्धांत वैश्विक स्तर पर समस्याओं के निराकरण में सक्षम है। फिर छोटी मोटी समस्याओं का निराकरण तो अपने आप ही हो जायेगा। आज समन्वय की बाते तो बहुत चलती हैं। पर समन्वय का अर्थ यह नही कि सारे सम्प्रदाय एक हो जाये, बल्कि सब अपनी-अपनी उपासना को करते हुए दूसरो के प्रति अनादर का भाव ना रखे। सम्प्रदाय को गोण कर धर्म की महत्ता कायम रखे, तो धर्म का वर्चस्व कायम रहेगा। हम सूई बन कर जोडऩे का काम करे धर्म जोडऩे का काम करता हैं तोडऩे का नहीं। धर्म सभा को मुनि चेतन्य कुमार अमन, मुनि अतुल कुमार ने भी संबोधित किया। उक्त धर्म सभा तेरापंथ सभा भवन में जैन एकता के सदर्भ में संगोष्ठी का आयोजन किया गया था। सभा में स्वागत भाषण तेरापंथ सभा अध्यक्ष राजेश बम ने दिया। इस अवसर पर विमल मूथा, राजेन्द्र लुणावत, शरद गुगलिया मुख्य रूप से उपस्थित थे।

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