मालपुर ग्राम पंचायत में किसानों के लिए विकसित कृषि संकल्प अभियान  के तहत हुआ कार्यक्रम 

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भूपेंद्र चौहान, चंद्रशेखर आजाद नगर 

चंद्रशेखर आजाद नगर के मालपुर ग्राम पंचायत में 29 मई से 12 जून तक विकसित कृषि संकल्प अभियान का आयोजन किया गया. इस अभियान का मुख्य उद्देश्य किसानों के साथ सीधा संवाद स्थापित करना, उन्हें नई कृषि तकनीकों और सरकारी योजनाओं की जानकारी देना, किसानों से उनकी समस्याओं पर फीडबैक लेना और कृषि नवाचारों का दस्तावेजीकरण करना था.

यह कार्यक्रम कृषि विज्ञान केंद्र, किसान कल्याण विभाग और प्रधानमंत्री फसल बीमा पाठशाला के सहयोग से आयोजित किया गया, जिसमें शिक्षा से फसल योजना का भी विवरण दिया गया. इस अवसर पर मंदसौर से आए कृषि वैज्ञानिक डॉ. नितिन सोनी, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी एम.एस. चांगोड़, और वरिष्ठ उद्यानिकी अधिकारी अमन सिंह डुडवे उपस्थित थे. यह कार्यक्रम छोटी मालपुर ग्राम पंचायत में सरपंच नहजु केवन, चंद्रशेखर आजाद नगर, जिला अलीराजपुर की उपस्थिति में संपन्न हुआ.

कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को मार्गदर्शन

कृषि वैज्ञानिक डॉ. नितिन सोनी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि उनके क्षेत्र में होने वाले महुआ से लड्डू बनाकर बेचे जा सकते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि गाय के गोबर से पेंट भी बनाया जा रहा है. डॉ. सोनी ने ढलान वाली जगहों पर अश्वगंधा, धोली मूसली जैसी कई जड़ी-बूटियों की खेती करने का सुझाव दिया, जिनकी 90 दिन में कम पानी में भी अच्छी फसल ली जा सकती है.

उन्होंने विशेष रूप से तुलसी की खेती की तकनीकी जानकारी दी. डॉ. सोनी ने बताया कि तुलसी का पत्ता, डंठल, बीज और जड़ – सब कुछ बिक जाता है और यह बहुत महंगे व अच्छे दामों पर बिकता है. इसकी खेती में कम खर्चा आता है और यह बिना खाद के पक जाती है. उन्होंने किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया, जिसे सुनकर किसान काफी उत्साहित नजर आए.

उन्नत कृषि पद्धतियों पर जोर

किसानों को नई और उन्नत खेती के बारे में समझाते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने निम्नलिखित महत्वपूर्ण बातों पर जोर दिया:

 * समय पर बुवाई: सही समय पर बुवाई करना फसल की अच्छी पैदावार के लिए महत्वपूर्ण है.

 * प्रमाणित उन्नत बीज व जैविक खेती: प्रमाणित उन्नत बीजों का उपयोग करें और जैविक खेती पर विशेष ध्यान दें.

 * बीज उपचार और टीकाकरण: बुवाई से पहले बीजों का उपचार और टीकाकरण अवश्य करें.

 * मिट्टी की जांच: मिट्टी की जांच करवाकर कृषि वैज्ञानिकों की सिफारिश के अनुसार संतुलित उर्वरकों का उपयोग करें.

 * उचित बीज दर और कतार में बुवाई: उचित बीज दर रखें और कतार में बुवाई करें, जिससे कतार से कतार की समुचित दूरी बनी रहे.

 * ढलान के आड़े जुताई और बुवाई: ढलान वाली जमीन पर मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए ढलान के आड़े जुताई और बुवाई करें.

 * फसल चक्र: हमेशा फसल बदलकर बोएं, जिससे भूमि की उर्वरक शक्ति बनी रहे.

 * आधुनिक सिंचाई: फव्वारा, ड्रिप और पाइपलाइन जैसी आधुनिक सिंचाई तकनीकों का इस्तेमाल करें.

 * बिल अवश्य लें: खाद, बीज और दवा खरीदते समय बिल अवश्य लें.

जैविक खेती के लाभ

डॉ. सोनी ने जैविक खेती के फायदों को भी विस्तार से समझाया:

 * भूमि की उर्वरक शक्ति में वृद्धि: जैविक खेती से भूमि की उर्वरक शक्ति बढ़ती है.

 * उपज की गुणवत्ता में सुधार: उत्पादन की गुणवत्ता बेहतर होती है.

 * दवाइयों का कम प्रयोग: रासायनिक दवाइयों का प्रयोग कम होता है.

 * प्राकृतिक कीट नियंत्रण: बिना दवाइयों के भी कीटों पर नियंत्रण संभव होता है.

 * उत्पादन लागत में कमी: खेती की लागत कम होती है.

 * विषम परिस्थितियों में भी आमदनी: विषम परिस्थितियों में भी किसानों की आय बढ़ती है और उन्हें अधिक मूल्य मिलता है.

इस अभियान का लक्ष्य किसानों को समृद्ध बनाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है, ताकि वे नई कृषि पद्धतियों को

अपनाकर अपनी आय बढ़ा सकें.

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