बिजली कटौती से परेशान ग्रामीण: कभी दिन भर, कभी रात भर गुल रहती है बिजली

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खरडू बड़ी। मध्य प्रदेश विद्युत मंडल के कर्मचारियों के खिलाफ ग्रामीणों में भारी नाराजगी है। ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें सिर्फ उपभोक्ताओं से वसूली की फिक्र रहती है, उनकी सुविधा-असुविधा की कोई परवाह नहीं है। कर्मचारियों को अपने कर्तव्य और जवाबदेही का भी कोई ज्ञान नहीं है।

घटना 22 मई, 2025 की है। 21 मई, 2025 को आई तेज आँधी और बारिश के कारण कई जगहों पर बिजली के तार क्षतिग्रस्त हो गए थे। विद्युत मंडल के कर्मचारी और अधिकारी सुबह से उन्हें दुरुस्त करने में लगे थे, ऐसा उपभोक्ताओं द्वारा पूछने पर बताया गया।

6 किलोमीटर के गाँव में भी सुबह से शाम तक नहीं मिलता फॉल्ट

जिला मुख्यालय झाबुआ से 12 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम खरडू बड़ी में बिजली की सप्लाई (ग्रिड) खरडू बड़ी से 6 किलोमीटर दूर ग्राम पारा डीसी से होती है। कर्मचारियों की कार्यशैली इतनी खराब है कि इस 6 किलोमीटर की दूरी में फॉल्ट कहाँ है, यह पता करने में उन्हें सुबह से शाम हो जाती है। इस दौरान नगर के कई परेशान उपभोक्ताओं और नागरिकों ने विद्युत मंडल के लाइनमैन चौधरी और जेई पारा मंडलोई से फोन पर संपर्क किया, तो उनका जवाब था कि वे फॉल्ट ढूंढ रहे हैं। जेई मंडलोई ने फोन पर फॉल्ट ढूंढने की बात स्वीकारते हुए कहा कि वे भी फील्ड में ही मौजूद हैं।

ग्रामीणों का सवाल है कि क्या विद्युत मंडल के अनुभवी कर्मचारियों को 6 किलोमीटर की दूरी में फॉल्ट ढूंढने में सुबह से शाम लग जाती है? जबकि उन्हें थोड़ी सी मेहनत का कार्य आँधी-तूफान या बारिश के मौसम में ही करना होता है। अगर 6 किलोमीटर के गाँव में कर्मचारियों को सुबह से शाम लग जाती है, तो दूसरी जगह कितना समय लगेगा, यह सोचने वाली बात है।

स्थानीय लाइनमैन न होने से ग्रामीणों को जाना पड़ता है डीपी पर

22 मई के बाद भी रोजाना बिजली आती-जाती रही है। 25 मई, 2025 को भी लगभग 5:30 बजे से बिजली गुल हो गई थी और रात 9:30 बजे तक नहीं आई। जब यहाँ के उपभोक्ताओं ने लाइनमैन चौधरी से बात करनी चाही, तो उनका मोबाइल बंद आया।

गाँव में बिजली आने-जाने के कारण ग्रामीणों को परेशानी का सामना तो करना पड़ता ही है, लेकिन बिजली को डीपी पर देखने और लूप निकालने के लिए भी ग्रामीणों को ही जान जोखिम में डालकर डीपी पर जाना पड़ता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यहाँ लाइनमैन तो हैं, लेकिन वे भी शाम को घर चले जाते हैं। इसी कारण ग्रामीणों को लूप खोलना पड़ता है। कल भी रात में डीपी पर आग लग गई थी, जिसके बाद ग्रामीणों की मदद से जैसे-तैसे आग पर काबू पाया गया। इसके बाद गाँव के लाइनमैन प्रवीण पंचाल को बुलाकर डीपी के तार सही करवाए गए, जिसके बाद गाँव में बिजली चालू की गई। रोजाना ऐसा ही कुछ न कुछ होता रहता है और लाइनमैन यहाँ रहते नहीं हैं, जिससे कभी भी कोई दुर्घटना हो सकती है। ऐसी स्थिति में उसका जिम्मेदार कौन होगा? नौतपा की भयंकर गर्मी से परेशान ग्रामीण किससे गुहार लगाएँ, कोई सुनता ही नहीं।

ग्रामीणों की मुख्य माँगें

ग्रामीणों – रमेश डामोर, राजेंद्र पंचाल, मनीलाल पंचाल, अर्पित गोड, गुड़िया डामोर, शीराज आदि – का कहना है कि यहाँ पर एक स्थानीय लाइनमैन रहना चाहिए, जिससे रात्रि में अगर लाइन के तार या कोई बड़ा हादसा हुआ, तो यहीं पर स्थानीय लाइनमैन या डीपी से लाइन बंद करवा सके।

रविवार शाम को लाइनमैन चौधरी द्वारा अर्थिंग तार ढीला छोड़ देने के कारण रात में मुख्य बाजार की लाइन चालू-बंद हो रही थी। इसको लेकर स्थानीय लाइनमैन से ग्रामीणों ने बात करना चाहा, तो फोन बंद मिले और कभी फोन लगा भी, तो रिसीव नहीं किया गया। जब पारा डीसी के जेई से बात की गई, तो उन्होंने यही गाँव के प्रवीण पंचाल को डीपी पर भेजकर अर्थिंग का तार ढीला होने से लाइट बंद होने की बात बताई।

ग्रामीणों का कहना है कि अभी बारिश शुरू भी नहीं हुई है और जब डीपी पर इस तरह ढीले तार हैं, तो लाइन को सही करवा दिया जाए और स्थानीय लाइनमैन को खरडू बड़ी में ही तैनात किया जाए।

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