आलीराजपुर जिले के इन 7 चर्चित स्थानों पर गए हैं आप !! इनमें कुछ जगहों पर धार्मिक पर्यटन भी

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चंद्रभान सिंह भदौरिया 

झाबुआ से अलग होकर बने आलीराजपुर जिले में पर्यटन ओर धार्मिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं आइये आपको बताते हैं अगर आलीराजपुर जिले में घूमना है तो कहां कहां जाना चाहिए 

कट्‌ठीवाड़ा का नूरजहां आम।
कट्‌ठीवाड़ा का प्रसिद्ध झरना।

1)  कट्ठीवाड़ा क्षेत्र – इस इलाके को मिनी कश्मीर भी कहा जाता है .. खूबसूरत हरी भरी पहाड़ियां..बारिश के महीने मे खूबसूरत झरना ..हरियाली आपको मंत्र मुग्ध करती है .. कट्ठीवाड़ा के आसपास आमखुंट के हरे भरे पहाड़ आपको आकर्षित करते हैं .. यहां अब बाबा श्री नीम करौली जी का मंदिर भी बनने वाला है .. यहां लजीज खाने के लिए आपको वेज ओर नानवेज ढाबे भी बहुतायत में मिल जायेंगे ..जो दाल पानिया मुख्य रूप से परोसते हैं .. यहां का राजा साहब का निजी स्टेडियम भी बेहद खूबसूरत है .. मध्यप्रदेश सरकार भी यहां ट्रेकिंग पाइंट बना रही है

नर्मदा

2) नर्मदा घाटी एरिया – नर्मदा नदी का मध्यप्रदेश में अंतिम जिला आलीराजपुर पड़ता है ..डूब क्षेत्र के गांव ककराना – सकरजा – अंजनवाडा ओर उससे सटे भानचिडी – गेंद्रा  जैसे गांव बेहद खूबसूरत है .. यहां नर्मदा नदी के सहारे जीवन जीते ग्रामीणों की अद्भुत जीवन शैली ओर झरने भी आपको देखने मिलेगे .. यहां नर्मदा नदी मे घुमने के लिए आपको छोटे स्टीमर या नावों का ही सहारा है .. लेकिन खाने के लिए इलाके मे कोई होटल या ढाबा नहीं है इसलिए आपको सोंडवा – बखतगढ़ एंव छकतला जाना पड़ेगा .. यहां ट्रेकिंग एरिया चिन्हित कर तैयार किया गया है जहां विगत वर्ष से पर्यटक आना भी शुरू हो चुके हैं ।

लक्ष्मणी जैन तीर्थ।

3) लक्ष्मणी- यह राष्ट्रीय स्तर का जैन तीर्थ स्थल है ..ओर खंडवा – वडोदरा मार्ग पर आलीराजपुर से कुक्षी रोड पर आलीराजपुर से 10 मिनट की दुरी पर है ..हाल ही में इसका जीर्णोद्धार ( पुननिर्माण  ) जैन विधि विधान से हुआ है .. दरअसल यहां का एतिहासिक नाम लक्ष्मणपुर हुआ करता है तथा छोटे बडे सैकड़ों जैन ओर हिंदू मंदिर हुआ करते थे लेकिन संभवतः मोहम्मद गजनवी ने हमले में यह लक्ष्मणपुर नष्ट कर मंदिरों को जमींदोज कर दिया गया था.. बाद में जैन धर्मावलंबियों ने यहां एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया.. आज भी लक्ष्मणी के आसपास के 10 किलोमीटर सराउंडिंग एरिया मे खुदाई के दौरान क्षतिग्रस्त दैवीय प्रतिमाएं मिलती रहती है .. यहां के दाल पानियां आसपास के इलाके में बेहद लोकप्रिय है । यहां जैन धर्मावलंबियों के लिए बडी ओर सर्व सुविधायुक्त आवासीय परिसर भी बने हैं ।

चंद्रशेखर आजाद नगर

4) चंद्रशेखर आजाद नगर ( भाबरा )-  भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद का नाम बहादुरी ओर राष्ट्रप्रेम के लिए सम्मानपूर्वक लिया जाता है .. उनका जन्म आलीराजपुर जिले के उस समय के भाबरा गांव में हुआ था .. मूलतः उत्तर प्रदेश के रहने वाला उनका परिवार यहां नौकरी के लिए आया था ..यही एक झौपड़ी में आजाद का जन्म हुआ था .. आजाद का शुरुआती जीवन यही बीता ओर फिर वह शिक्षा के लिए चले गये है ..उनकी झौपड़ी की जगह अब आजाद स्मृति मंदिर ने ले ली है .. जहां उनकी आदमकद प्रतिमा के साथ उनकी जीवन यात्रा को तैल चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया है .. आलीराजपुर जिला मुख्यालय से चंद्रशेखर आजाद नगर की दुरी करीब 40 किलोमीटर है ओर झाबुआ जिला मुख्यालय से यह दुरी 48 किलोमीटर है , ट्रेन से यहां पहुंचने के लिए नजदीकी रेल्वे स्टेशन दाहोद है जो दिल्ली – मुंबई रेलवे ट्रेक पर है ..दूसरा गुजरात से आने वालो के दो ट्रेन आलीराजपुर रेल्वे स्टेशन पर पहुंचती है

मालवई माता मंदिर
मालवई स्थित शिवालय।

5)-मालवाई के माता ओर शिवजी के मंदिर-आलीराजपुर से उमराली रोड पर जिला मुख्यालय से करीब 5 किलोमीटर की दुरी पर मालवाई गांव मे दो ऐतिहासिक महत्व के मंदिर है ..एक माताजी का मंदिर है ओर दूसरा हजारों साल पुराना शिवालय है ..शिवालय की नक्काशी देखने लायक है इसे परमारकालीन माना जाता है कुछ किंवदंतियां भी इलाके में प्रचलित है ..मालवाई माताजी मंदिर मे माताजी की प्रतिमा तेजस्वी है .. यहां बड़ी तादाद में माता भक्त पहुंचते हैं .. नवरात्रि में यहां अच्छी खासी भक्तों की भीड़ लगती है ।

बाबा ईश्वर

6) बाबा ईश्वर ( झिंझनी ) –आलीराजपुर जिले के सोरवा इलाके के झिंझनी गांव के जंगलों के बीच बाबा ईश्वर यानी भगवान शिवजी का मंदिर है .. यह अतिप्राचीन है तथा यहां एक कुंड में जलधारा लगातार प्रवाहित है . . यहां महाशिवरात्रि पर भव्य मेला लगता है ..जिसमें आसपास के इलाके से हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं ।

सहयोग गार्डन

7) सहयोग गार्डन आलीराजपुर- आलीराजपुर की पहचान की जब बात की जाती है तो सहयोग गार्डन का अपना महत्व है .. आलीराजपुर शहर के जिला अस्पताल के सामने बना यह सहयोग गार्डन शहर के पर्यावरण प्रेमी होने का प्रतीक है .. यहां 5000 से अधिकांश पेड़ पौधे हैं .. जो आकर्षण का केंद्र है .. सहयोग गार्डन जनसहभागिता का भी प्रतीक माना जाता है ..शहर के युवाओं ने इसे समर्पण भाव से तैयार किया था ..किसी अन्य शहर के युवाओं के लिए सहयोग गार्डन एक प्रेरणा है ।

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