अंधाधुंध रेत खनन से मैदान में तब्दील हुई नदियां

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अलीराजपुर लाइव के लिए अलीराजपुर से रिजवान खान की रिपोर्ट-
जिले का पर्यावरणीय संतुलन धीरे-धीरे बिगड़ता जा रहा है। अप्रैल माह में कभी तापमान 35 डिग्री रहता था लेकिन इसके विपरीत अब इन दिनों 38 से 40 के बीच बना हुआ है। जिलेे की नदियों से हो रहे अंधाधुंध रेत खनन में नदियां पथरीले मैदान बन चुकी है। नदियां सूख चुकी है और उनके पनघट सूने हो चुके है। जिले की दो प्रमुख नदियों के हालात देखकर अंचल के पर्यावरण प्रेमी निराश है। नदियों से निरंतर रेत दोहन के कारण जिले का भू-जल स्तर भी गिरता जा रहा है। पर्यावरण प्रेमी अब रेत खनन रुकवाने के लिए उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर जिले का पर्यावरण बचाने की तैयारी में जुट चुके है।
जिले की प्रमुख नदियां सुक्कड़, हथिनी, ओरसंग और अनखड़ नदियां रेगिस्तान की तरह नजर आ रही है, इसमें बे खराब स्थिति सुक्कड़ नदी की हो गई है जो कि हथिनी नदी की सहायक नदी है। इस नदी से इस ढंग से अंधाध्ंाुध रेत का वैध और अवैध ढंग से खनन किया जा चुका है कि पहले वर्ष भर बहने वाली इस नदी में एक बंूद पानी नहीं बचा है। कभी इस नदी में खरबूजे की फसल ली जाती थी किंतु अब इस नदी में पत्थर ही पत्थर रह गए है। अलीराजपुर विकासखंड की यह प्रमुख नदी सोंडवा विकासखंड में हथिनी नदी में जाकर मिल जाती है।
हथिनी नदी में पानी समाप्त- अंचल की और प्रमुख हथिनी नदी जिस पर अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद बांध बना हुआ है। बांध के जल ग्रहण क्षेत्र में इस नदी में अब पानी ही नहीं बचा है। ग्राम खट्टाली के आसपास के ग्रामों में नदी पूरी तरह से सुख चुकी है और इसमें अवैध रेत खनन बड़े पैमाने पर चल रहा है। नदी पर बने बांध का जल स्तर 8 मीटर गिर चुका है और बांध के पानी का जल स्तर भी निरंतर गिर रहा है। आजाद नगर विकासखण्ड से आरंभ हुई यह नदी अलीराजपुर और जोबट विकासखंड होते हुए सोंडवा विकासखंड में ग्राम ककराना में नर्मदा नदी में जाकर मिल जाती है।
अनखड़ नदी- कठ्ठीवाड़ा विकासखंड के ग्राम सोरवा से निकली यह नदी सोंडवा विकासखंड में हथिनी नदी में जाकर मिलती है। इसमें भी अंधाधुंध रेत खनन होने से इस नदी में पानी बहना बंद हो गया है।
ओरसंग नदी- कठ्ठीवाड़ा विकासखण्ंड के वनीय अंचल से निकली यह नदी मध्य प्रदेश से गुजरात की ओर प्रवाहित होती है। इसमें भी चांदपुर साजनपुर क्षेत्र में रेत खनन की खदाने ठेकेे पर दी गई है। नदी के सहायक नाले व उप नाले सभी को रेत की लालच में इस ढंग से खोद दिया गया हैए इससे पानी का प्रवाह ही बंद हो गया।
सैकड़ो ट्रक रेत का खनन प्रतिदिन-
जिले की करीब 33 रेत खदानों को 2014 से 2019 तक पांच साल के लिए ठेके पर दिया जा चुका है। प्रतिदिन इन खदानों से सैकड़ो की संख्या में ट्रक बालू रेत लेकर बड़े शहरों की ओर जाते है। रेत खनने से जिले में ट्रकों डंपरों में ओवरलोडिंग जमकर हो रही है। सड़के खराब हो रही है। सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि हो रही है। अन्य कई प्रकार की पर्यावरणीय और मानवीय समस्याएं खड़ी हो रही है।
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