शान ठाकुर, पेटलावद
दिनांक 23 मार्च को दोपहर करीब 01 बजे पेटलावद में थांदला रोड पर एक अवैध निर्माणाधीन सिनेमा हॉल की छत गिरने से दो लोगों की मौत हो गई है और तीन लोग घायल है। घटना को लेकर नगर परिषद पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं कि पेटलावद शहर में इतना बड़ा निर्माण नगर परिषद की नाक के नीचे चल रहा था तो फिर नगर परिषद ने इस अवैध निर्माण पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? क्या नगर परिषद एक बड़े हादसे का ही इंतजार कर रही थी? मामले में नगर परिषद सीएमओ सहित अन्य अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। सीएमओ से कलेक्टर ने भी स्पष्टीकरण मांगा है। लेकिन स्पष्टीकरण से पहले ही माजरा बदलते हुए नजर आ रहा है। सीएमओ ने अपने ही अधीनस्थ कर्मचारियों को नोटिस थमा दिए हैं और घटना में उन्हें जिम्मेदार बताकर कहीं ना कहीं खुद पल्ला झाड़ने की कोशिश की है।
अपने ही कर्मचारियों की बलि देने की तैयारी
हादसा गंभीर होने के साथ ही हादसे में दो लोगों की मौत हो गई है लेकिन अधिकारी घटना में खुद को बचाते हुए नजर आ रहे हैं। सीएमओ आशा भंडारी सख्त अधिकारी के रूप में जानी जाती है, यहां तक कहा जाता है कि सीएमओ की परमिशन के बिना नगर परिषद का पत्ता भी नहीं हिलता। और कोई भी कर्मचारी सीएमओ की परमिशन के बिना कोई कदम नहीं उठाते हैं। लेकिन पेटलावद में एक सिनेमा हॉल का अवैध निर्माण चल रहा था और उसकी खबर सीएमओ तक नहीं पहुंची यह बात गले उतरने जैसी कतई नही है। सीएमओ अपने अधीनस्थ कर्मचारी सब इंजीनियर दीपक वास्कले एवं सहायक राजस्व निरीक्षक बद्रीलाल सेप्टा को नोटिस थमा दिए है और उनसे स्पष्टीकरण मांगा है। नोटिस में लगभग उन्हें ही जिम्मेदार ठहरा दिया गया है। हालांकि यह जांच का विषय है कि कौन कितना जिम्मेदार है लेकिन घटना में कहीं ना कहीं यह जरूर नजर आ रहा है कि मामले में छोटे अधिकारियों की बलि चढ़ाना संभव है।
