भगवान भाव के भूखे होते हैं, उन्हें अन्न धन से नहीं बल्कि श्रद्धा भाव से प्रसन्न किया जा सकता है : पं. शिवगुरु शर्मा
मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ
भगवान उसी को सामने बिठाता है जो उसे प्रिय लगता है, भगवान के भक्तों को मान सम्मान बहुत मिलता है, लेकिन भक्त सब न ले कर भगवान को ही मांग लेता है तो भगवान सदा के लिए उसके हो जाते हैं, कथा में करमा जाटनी की कथा जिसने भगवान श्री कृष्ण को खीचडा खिला दिया।

आगे भगवान श्री कृष्ण द्वारा गोचरा ने की कथा तथा सखा श्री दामा तथा मथुरा में दूध माखन नहीं ले जाने की कथा के बाद,बृहम्मा जी के अहंकार को मिटाया, आगे बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने यमुना तट पर महारास रचाने की लीला जिसमें गोपी बन कर भगवान शिव जी गोपी बन पहुंचे तथा रास किया तथा कृष्ण द्वारा पहंचाने जाने तथा कृष्ण जी कहने पर गोपेश्वर नाम से स्थापित हो गए।
