मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ
भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में कंस के कारागार में माता देवकी के गर्भ से हुआ उसके साथ ही देवकी तथा वसुदेव जी के हाथ पांव लगी बेड़ियां अपने आप खुल गई, यानि कि जब भगवान हमारे ह्रदय में उतरता है तो सारे बंधन टूट जाते हैं।

उक्त वृतांत आम्बुआ में माहेश्वरी परिवार द्वारा आयोजित श्री मद्भागवत कथा में व्यास पीठ से सुनाते हुए पं० श्री शिव गुरु शर्मा ने बताया कि भगवान भक्त के आधीन रहते हैं यही कारण है कि वे पृथ्वी पर भक्तों तथा देवता गोमाता की रक्षा हेतु अवतरित होते हैं, कथा में आगे बताया कि भगवान के कहने पर वासुदेव जी उन्हें गोकुल ले गए तथा वहां से यशोदा जी की कन्या को मथुरा ले आए, कन्या यानि कि माया और जब माया आती है तो बेड़ियां बंध जाती है , यहां भी यही हुआ देवकी वसुदेव को पुनः बेड़ियां लग गई कन्या का रोना सुनकर पहरेदारों ने कंस को बता दिया तब कंस वहां आया तथा कन्या को मारना चाहा वह आकाश में चली गई तथा आकाश वाणी की कि तुझे मारने वाला पैदा हो गया है।कंस घबरा गया।
