मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ
यह संसार बहुत ही मतलबी हैं, यहां सब अपना भला चाहते हैं किसी को किसी की फ़िक्र नहीं हो ती है,न, परिवार और न ही नाते रिश्तेदार और न ही यह संसार किसी का होता है।

उक्त विचार आम्बुआ में साप्तदिवसीय श्री मद्भागवत कथा के दौरान व्यास पीठ पर विराजमान उज्जैन उन्हैल से पधारे पं० शिवगुरु शर्मा द्वारा व्यक्त करते हुए आगे बताया कि एक हाथी जो कि परिवार के साथ सरोवर में पानी पीने गया जहां पर उसके पांव को मगर ने पकड़ लिया तब उसने पहले परिवार को पुकारा मगर कोई नहीं आया तब उसने नारायण भगवान को पुकारा श्री नारायण भगवान तत्काल भगत के पास पहुंचे तथा मगर का शीश काट कर गजराज तथा मगर दोनों का उद्धार किया।
