प्रथम बार आगमन पर आचार्य श्री का मेघनगर में हुआ भव्य मंगल प्रवेश 

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लोहित झामर, मेघनगर 

गच्छाधिपति आचार्य देवेश श्रीमद विजय हितेश चंद्र सुरीशवरजी म सा आदि ठाणा पांच मुनि भगवंतो का प्रथम बार मेघनगर आगमन पर भव्य मंगल प्रवेश हुआ आ।अगराल रोड स्थित  राजीबाई शांतिलाल संघवी परिवार के निवास स्थान से आचार्य  श्रीमद् विजय हितेश चंद सुरीश्वर जी महाराज साहब एवं मुनि मंडल की अगवानी जैन समाज के वरिष्ठ अजीत संघवी, रवि सुराणा, पंकज वागरेचा, राजेंद्र संघवी सुनील संघवी मदन संघवी दिनेश संघवी, विनोद बाफना, विकास बाफना, सहीत समाज जनों ने भव्य अगवानी कर आचार्य श्री एवं मुनि भगवंतो को  बैंड बाजे के साथ नगर के  प्रमुख मार्गो से  राजेंद्रसूरि ज्ञान मंदिर होते हुए श्री गौडी जी पार्श्वनाथ मंदिर पहुंचे। 

आचार्य श्री की जगह-जगह अक्षत  गवली की गई। श्री गौडी पार्श्वनाथ मंदिर पर देव वन्दन व गुरु वंदन पश्चात धर्म सभा आयोजित हुई जहां धर्म सभा में आचार्य श्री ने भगवान महावीर स्वामी के जीवन का वर्णन करते हुए त्याग की महिमा बताते हुए कहा कि भगवान महावीर स्वामी के विचरण वाले मार्ग पर चण्डकोशीक नाग को भी भगवान की त्याग तपस्या को देखकर नतमस्तक होना पड़ा था। साथ ही उन्होंने कहा मनुष्य चाहे तो महावीर बन सकता है ,राम बन सकता है, मनुष्य चाहे तो रावण भी बन सकता है। मनुष्य के  कर्म पर निर्भर है अच्छे कर्म करने वाला कभी किसी का अपमान नहीं करता है। लेकिन सम्मान मिलने पर कभी घमंड नहीं करना चाहिए। सम्मान करने वाला सम्मान देगा अपमान करने वाला अपमान देगा जिसके पास जो है वही देगा लेकिन अपमान करने वाले के प्रति कभी भी दुर्भावना नहीं रखें जीवन को सुधारने के लिए सतत अच्छे कर्म करते रहना चाहिए। धर्म सभा में आचार्य श्री ने स्थानीय मोहनखेडा जैन यात्रीक धर्मशाला को सुसज्जित कर 30 नये रुम बनाने की घोषणा की श्री संघ के सदस्यों ने आचार्य श्री को कामली वौहराई । मंगल प्रवेश स्थल  संघवी निवास पर नवकारसी आयोजित हुई। कार्यक्रम का संचालन विनय राज चंडालिया ने किया आभार अजीत  संघवी ने माना।

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