बिरसा मुंडा जयंती को लेकर आदिवासी समाज में उत्साह का माहौल, गांव-गांव में हो रही बैठकें 

0

जितेंद्र वर्मा, जोबट

15 नवंबर 1875 को झारखंड के आदिवासी मजदूर परिवार में जन्मे महामानव धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती  प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी खट्टाली कस्बे में जिला स्तरीय आदिवासी समाज द्वारा बड़ी धूम धाम से मनाई जा रही हैं। 

बिरसा मुंडा जयंती को लेकर गांव गांव में बैठक कर महामानव भगवान बिरसा मुंडा जयंती कार्यक्रम के बारे में समझाया जा रहा हे। बिरसा समानता स्थापित करने वाले महात्मा भगवान बिरसा थे। महात्मा गांधी भी बिरसा से प्रेरणा लेकर देश सेवा के लिए आगे आए। बिरसा मुंडा ईसाई मिशनरी स्कूल में पढ़े बिरसा में मानव प्रेम समानता का भाव था। लेकिन धर्म परिवर्तन के खिलाब तो थे। लेकिन केवल वे धार्मिक भी नहीं थे बल्कि बिरसा का उलगुलान ,समाजिक सांस्कृतिक, देश प्रेम राष्ट्र हित की भावनाओं से ओत प्रोत थे। बिरसा अंग्रेजी हुकूमत एवं स्थानीय जमीदारों ,साहूकारों के खिलाफ भी लड़े।जयस प्रदेश प्रभारी मुकेश रावत ने ग्रामीण जनों को संबोधित करते हुए कहा हे। की बिरसा आदिवासियों के लिए भगवान ऐसे ही नहीं बने 20 वर्षीय की उम्र में बिरसा वैष्णव धर्म की ओर मुड़े और आदिवाससी में दैवीय मानते थे। इस प्रकोप ,महामारी से बचाने के लिए जड़ी बूटी से इलाज करते थे।और लोग ध्यान से उनकी बात सुनते थे। बिरसा आदिम संस्कृति आदिम परम्परा के लिए बिरसावद पंध चलाया। जल जंगल जमीन के लिए ब्रिटिश उपनिशवाद एवं स्थानीय जमीदारों  के खिलाप लड़े।बिरसा का सपना समानता, और बंधुत्वा के सिद्धांत के आधार पर सामाजिक सांस्कृतिक,राष्ट्रवाद निर्माण का  था।उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आधुनिक हथियार को छोड़कर परंपरागत हथियार तीर कमान के सहारे गुरिल्ला युद्ध किया।बिरसा मुंडा के कार्यक्रम को लेकर ग्राम बलादमूंग, खेरवां दो गांव की बैठक की गई। जिसमें बिरसा मुंडा जयंती आयोजन समिति के जिला अध्यक्ष मालसिंह तोमर, जयस प्रदेश प्रभारी मुकेश रावत , जिला पंचायत सदस्य श्रीमती रिंकुबला डावर, आयोजन समिति के संयोजक कैलाश सोलंकी , जयस जिला उपाध्यक्ष राकेश चौहान, लालसिंह डावर ,राजूसिंह डुडवे ,जितेंद्र मौर्य, संदीप जमरा, कैरम जमरा,सहित सभी कार्यकर्ताओं ने अपने विचार रखे एवं उपस्थित सभी को कार्यक्रम में आने का आह्वान किया गया।

Leave A Reply

Your email address will not be published.