बामनिया पुलिस अपराधों पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित ! 

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शान ठाकुर, पेटलावद 

बामनिया पुलिस अपराधों पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रही है, जिसके कई उदाहरण सामने आ चुके हैं। ताजा मामला दीपावली की रात को सामने आया है जब दो पक्षों में बामनिया में खूनी संघर्ष हुआ है, लेकिन करीब 48 घंटे बीत जाने के बाद भी अब तक पुलिस दोनों पक्षों की एफआईआर दर्ज नहीं कर पाई है। 

मामला इस प्रकार है कि ग्राम गोदडिया और बामनिया में रहने वाले दो पक्षों में पारिवारिक विवाद के चलते खूनी संघर्ष हो गया, जिसमें दोनों ही पक्षों के लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। मामले में अब तक चौकी प्रभारी द्वारा गंभीरता नहीं दिखाई गई और पूरे मामले में अब तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। बामनिया पुलिस पूरे मामले में जिस तरह से निष्क्रियता दिखा रही है। उससे कहीं ना कहीं अपराधों में और बढ़ोतरी होते दिखाई देगी। घटना के बाद मौके पर मौजूद लोगों ने वीडियो भी बनाएं जिसमें पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं कि पुलिस के द्वारा पीड़ित पक्ष की सुनवाई ना करते हुए उल्टा उन्हें ही धमकाया जा रहा है। एक वीडियो में बामनिया पुलिस चौकी पर पदस्थ एएसआई अरुण गोयल ग्रामीणों पर धोस दिखाते हुए नजर आ रहे हैं। वही वीडियो में बामनिया निवासी पक्ष बुरी तरह से घायल और खून से लथपथ नजर आ रहा है। जिसमें बच्चे महिलाएं, बुजुर्ग घायल हुए हैं। जिनकी बेहरमी पूर्वक पिटाई की गई है। हालांकि दोनों पक्षों में खूनी संघर्ष हुआ है। गोदडिया में रहने वाले पक्ष से हमने संपर्क करने का प्रयास किया किंतु वह झाबुआ जिला चिकित्सालय में उपचारत है। जिस वजह से उनसे संपर्क नहीं हो पाया है। वहीं चौकी प्रभारी रुक्मणी अहिरवार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हम तो लगातार इन लोगों से संपर्क कर रहे हैं किंतु कोई एफआईआर दर्ज करवाने चौकी पर नहीं आया है। लेकिन शायद चौकी प्रभारी को यह नहीं पता कि बामनिया में रहने वाला पक्ष घटना के बाद ही बामनिया चौकी पर पहुंचा था और एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी। किंतु उन्हें चौकी पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उल्टे पैर लौटा दिया और कहा कि यहां आपकी सुनवाई नहीं होगी तुम पेटलावद थाने जाओ।

बामनिया पुलिस चौकी क्षेत्र में किस तरह अपराध बढ़ते जा रहे हैं यह किसी से छुपा नहीं है। बीते दिनों ही ग्राम पंचायत बामनिया के सरपँच व उप सरपंच पर कुछ लोगों ने जानलेवा हमला कर दिया था। वही नवरात्रि के दौरान भी रात्रि में हुड़दंग के कई मामले सामने आए लेकिन उन पर भी बामनिया पुलिस अंकुश नहीं लगा पाई। बामनिया पुलिस की नाकामी के कारण ही वर्षों पुराना मेला जो की पंजीकृत मेला होकर व्यापारियों के रोजगार और क्षेत्रवासियों के मनोरंजन का केंद्र था उसे भी ग्राम पंचायत ने निर्णय लेते हुए रद्द कर दिया है। इस वर्ष बामनिया में मेला नहीं लगाया जाएगा। जिसका सबसे बड़ा कारण बामनिया पुलिस की नाकामी ओर निष्क्रियता है। 

जनप्रतिनिधियों ने साफ तौर पर सोशल मीडिया पर भी पुलिस पर आरोप लगाए हैं। वही बामनिया में हुए खूनी संघर्ष में घायल हुए लोगों के परिजनों ने वीडियो वायरल कर पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए धमकाने की बात कही है। बताया जाता है कि बामनिया चौकी प्रभारी बामनिया में निवास नही करते है ओर चौकी पर भी कम नजर आते है ऐसे में उनके अधीनस्थ पुलिस कर्मी अपने मनमाने ढंग से चौकी चला रहे है। पुलिस अधीक्षक को पूरे मामले में संज्ञान लेना होगा अन्यथा बामनिया में पुलिस व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो जाएगी और अपराधियों के हौसले इसी तरह बुलंद होते नजर आएंगे….!

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