शहीद भगतसिंह भारत की शान है, 23 वर्ष की आयु में देश के लिए कुर्बान हो गए और हमारे दिलों में अजर अमर हो गए 

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जितेंद्र वर्मा, जोबट

जोबट में देर शाम 7 बजे बालक छात्रावास में शहीद ए आजम भगतसिंह की जयंती के उपलक्ष में एक कार्यक्रम हुआ। जिसमे शाहिद भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव और अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद जी के संघर्ष और देश की आजादी के लिए दिए योगदान का बखान किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत शहीद ए आजम भगतसिंह, शहिद चंद्रशेखर आजाद, महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण कर की गई, कार्यक्रम में वक्तव्य देते हुए सरपंच मोतेसिंह भूरिया ने शहीद भगतसिंह के जीवन परिचय को बताते हुए, आने वाली पीढ़ी को शिक्षा की ओर अग्रसर होकर पढ़ाई करने की अपील की, उन्होंने कहा शिक्षा ही शेरनी का दूध है और इसे जो पिता है वो दहाड़ता है, वीरेंद्र सिंह बघेल ने शहिद चंद्रशेखर आजाद और शहिद ए आजम भगतसिंह के जीवन पर प्रकाश डाला और और उनके संघर्ष को पढ़कर आगे बढ़ाने की अपील की। राजेंद्र बामनिया ने संबोधित करते हुए कहा बड़ों का आदर करना है, शिक्षा को लेकर हमेशा सजग रहना हैं शिक्षा जहां भी मिले ग्रहण करना चाहिए। और अंत में निलेश डावर ने शहिद ए आजम भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु, शहिद चंद्रशेखर आजाद का देश के प्रति अटूट प्रेम और दृढ़ता को बताते हुए, साइमन कमीशन वापस जाओ, लाला लाजपतराय पर लाठीचार्ज, फिर स्कॉट की हत्या, काकोरी काण्ड, चोरा चोरी कांड, जैल में शहीद भगतसिंह के भूख हड़ताल और जीत, चंद्रशेखर आजाद जी का घेराव के बाद जेब में बची अंतिम गोली, और भगतसिंह राजगुरु, सुखदेव का हंसकर फांसी के फंदे पर झूल जाना इन बिंदुओं पर विस्तृत बातें बताते हुए कहा हमारे लिए देश पहले है। और हमको इन महापुरुषों की किताबें बहुत हिम्मत देती है, महापुरुषों को सभी लोग पड़कर विचारों का प्रवाह करने की बात कही, कार्यक्रम में छात्रों के अलावा चेतन एसके, केसर चौहान, नन्हेसिंह मौर्य भी उपस्थित रहे।

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